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धौलपुर में समर्थन मूल्य पर बाजरे की नहीं हो रही खरीद, किसान मायूस - धौलपुर में बाजरे की खरीद

धौलपुर के किसानों को बाजरे के समर्थन मूल्य नहीं मिलने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि सरकारी रेट पर मंडी में बाजरे की खरीद शुरू नहीं होने के कारण कम दामों पर व्यापारियों को बाजरा देना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि त्योहारी सीजन होने के कारण उन्हें आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.

Dholpur News , Rajasthan News
धौलपुर अनाज मंडी

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Published : Nov 1, 2021, 8:14 PM IST

धौलपुर. जिले की मंडी में बाजरे की फसल पर समर्थन मूल्य नहीं मिलने पर किसानों को निराशा हाथ लग रही है. हताश होकर किसान सस्ती दरों पर बाजरे को बेचने में मजबूर हो रहे हैं. सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य 2150 निर्धारित है. लेकिन सरकारी रेट पर मंडी में खरीद शुरू नहीं हुई है. किसानों को मुश्किल से 1700 क्विंटल तक के दाम मिल रहे हैं.

बाजरा (Millet) खेती से निकालकर किसान मंडी (farmers Market) में पहुंचने लगा है. लेकिन मंडी में न्यूनतम समर्थन मूल्य( Minimum Support Price) पर खरीद नहीं होने से किसानों को भारी निराशा हाथ लग रही है. ऐसे में मंडी के अंदर एवं बाहर के बाजार में मनमाने तरीके से व्यापारियों द्वारा किसानों की बाजरे की फसल को खरीदा जा रहा है. किसानों के मुताबिक मंडी में मौजूदा वक्त में 1700 क्विंटल के भाव बाजरे की फसल पर मिल रहे हैं.

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किसान सरकारी संस्था के पास माल बेचने पहुंचते हैं तो समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ दिया जाता है. जबकि सरकार ने 2150 रुपए बाजरे की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर रखा है. लेकिन एमएसपी पर खरीद नहीं होने से मंडी के अंदर एवं बाहर मनमाने तरीके से व्यापारी किसानों की मेहनत को खरीद रहे हैं.

मंडी सचिव ने कहा-न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदारी शुरू नहीं हुई

मंडी सचिव कैलाश मीणा ने बताया सरकार द्वारा समर्थन मूल्य तो निर्धारित किया है.लेकिन उस पर खरीद की शुरुआत नहीं की गई है. उन्होंने कहा कि राजस्थान में कहीं भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बाजरे की फसल की खरीदारी शुरू नहीं हुई है. उन्होंने बताया एमएसपी (MSP) निर्धारित नहीं होने पर मंडी में माल की आवक भी काफी कम हो रही है. जो माल मंडी में पहुंच रहा है, उसे व्यापारी खुद के मुताबिक मूल्य लगाकर खरीद रहे हैं. फसल का काफी कम दाम मिलने पर जिले भर के काश्तकारों में निराशा छाई है. दीपावली का त्योहार होने के साथ अब शादियों का भी सीजन शुरू होने वाला हैं. जिससे किसानों को फसल बेचकर पैसे की सख्त जरूरत है.

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