धौलपुर. कोरोना वैश्विक महामारी मजदूर वर्ग के लिए त्रासदी बन कर आई है. सरकार ने जिस दिन से लॉकडाउन घोषित किया है, तभी से प्रवासी मजदूरों के पलायन का सिलसिला देश के हर हिस्से में शुरू हो गया. जो लगातार जारी है. ये मजदूर सैकड़ों किलोमीटर का सफर पैदल नाप ही नाप रहे हैं. पैरों में छाले पड़ने के बाद भी मजदूरों का घर जाने का हौसला कम नहीं हो रहा. लेकिन पलायन कर रहे मजदूरों की हालत देख कर ऐसा लगता है की सरकार के दावे धरातल पर खरे उतरते नहीं दिख रहे.
कहा गया है की आत्मनिर्भर बनें, आत्मनिर्भर का मतलब होता है खुद पर निर्भर होना. आत्मनिर्भर बनने का यही हौसला पलायन करने वाले प्रवासी मजदूरों का बना हुआ है. बता दे की धौलपुर के आगरा मुंबई-राष्ट्रीय राजमार्ग पर 24 घंटे में 15 सौ से करीब 2 हजार प्रवासी मजदूरों का पलायन होता है. हालांकि धौलपुर के कुछ भामाशाह और निजी संस्थाओं के संचालक इन मजदूरों के जख्मों पर मरहम लगाने का प्रयास कर रहे हैं. भोजन के पैकेट के साथ पानी, चप्पल मास्क और सैनिटाइजर के साथ-साथ चिकित्सा व्यवस्थाएं भी निशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही हैं.