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सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंचायती चुनाव का बिगड़ा गणित, क्या करेंगे अब सरपंच पद के उम्मीदवार

राजस्थान में पंचायती चुनाव पूरी तरह से उलझते हुए नजर आ रहे है. सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद एक बार फिर से पंचायती राज चुनाव की लॉटरी निकल सकती है. जिससे पंचायती चुनावों के दावेदार प्रत्याशियों का समीकरण पूरी तरह से बदल सकता है. बदलते समीकरण के बीच सरपंच उम्मीदवारों की जमीन खिसक सकती है.

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सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद पंचायती चुनाव का बिगड़ा गणित

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Published : Jan 15, 2020, 7:14 PM IST

धौलपुर. जिले में पहले चरण में होने वाले सरपंच के चुनाव में सैपऊ और बाड़ी पंचायत समिति के चुनावों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. जिससे दोनों पंचायत समितियों में सरपंच पद के दावेदारों के सामने अजीबो गरीब स्थिति सामने खड़ी हो गई है.

सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद पंचायती चुनाव का बिगड़ा गणित

प्रत्याशियों के साथ गांव की सरकार में रूचि रखने वाले ग्रामीण भी सोशल मिडिया के माध्यम से पल-पल की खबर पर पैनी नजर बनाए हुए है. 17 जनवरी 2020 के पहले चरण के पंचायत चुनाव को लेकर सरपंच पद प्रत्याशियों ने एड़ी से चोटी तक जोर लगाया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रत्याशियों के अरमान ठंडे हो गए है. जिससे उम्मीदवार गोठ और वोट में उलझ गए है. अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद फिर से लॉटरी निकाली गई, तो सरपंच पद के दावेदारों के पैरों के नीचे से जमीन खिसक जाएगी.

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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजस्थान में पंचायती चुनाव पूरी तरह से उलझ चुका है. जिससे सरपंच पद के दावेदारों का गणित बिगड़ सकता है. 8 जनवरी 2020 को निर्वाचन आयोग के समक्ष सरपंच और वार्ड पंच के दावेदारों ने आवदेन कर दिए थे. जिन्हे 9 जनवरी 2020 को चुनाव चिन्ह भी आवंटन कर दिए है.

जिले की कनासिल ग्राम पंचायत की प्रीती कुशवाह को निर्विरोध सरपंच भी घोषित कर दिया गया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निर्वाचन आयोग ने प्रामण पत्र जारी नहीं किया. जिससे सरपंच पद के दावेदार असमंजस के स्थिति में खड़े है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राजस्थान की 4 हजार 5 सौ 88 ग्राम पंचायत और 140 पंचायत समितियां प्रभावित हो सकती है.

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धौलपुर जिले की सैपऊ पंचायत समिति की 34 ग्राम पंचायत और बाड़ी पंचायत समिति की 35 ग्राम पंचायतों के पंचायती चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई है. अगर लॉटरी दुबारा निकाली गई तो उम्मीदवारों की तैयारियां धरी की धरी रह जाएगी. सरपंच, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद् सदस्य के साथ प्रधान पद के उम्मीदवार लॉटरी से प्रभावित हो सकते हैं. उधर राजस्थान सरकार और निर्वाचन आयोग पूरी तरह पंचायती चुनाव में उलझ चुके हैं. जिससे मौजूदा वक्त में पंचायती चुनाव की तस्वीर साफ दिखाई नहीं दे रही.

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