धौलपुर. जिले के चंबल के बीहड़ों में जिला मुख्यालय से महज 5 किलोमीटर की दूरी स्थित पूर्व एवं दक्षिण दिशा में हजारों साल पुराना ऐतिहासिक अचलेश्वर महादेव (Om Namah Shivay) मंदिर श्रद्धालुओं की अगाध आस्था का केंद्र बना हुआ है. साल के 12 महीने में दिन में तीन बार रंग बदलने वाला चमत्कारी शिवलिंग भक्त और श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करने वाला है. सावन के महीने में चंबल के बीहड़ों में अचलेश्वर मंदिर (Achaleshwar Mahadev) पर श्रद्धालुओं की खासी चहल-पहल देखी जाती है. रुद्राभिषेक, सहस्त्रधारा, महामृत्युंजय जप, रुद्री, कालसर्प आदि के पाठ किए जाते हैं. करीब 1000 साल पुराना शिवलिंग होने के कारण कई किवदंती इस मंदिर से जुड़ी है. ऐसा माना जाता है सोलह सोमवार चमत्कारी शिवलिंग पर गंगा जल अर्पित किया करने वाले कुंवारों को मनचाहा वर या वधू की प्राप्ति होती है.
चमत्कारिक शिवलिंग: इतिहासकार मुकेश सुतल ने बताया कि लगभग 1000 साल पुराना चमत्कारी शिवलिंग है. इस शिवलिंग की सैकड़ों साल पूर्व खुदाई कराई गई थी लेकिन इसका आदि एवं अंत नहीं पाया गया.ऐसे में चंबल के बीहड़ों में ही मंदिर स्थापित कर पूजा अर्चना की गई. अचल शिवलिंग होने के कारण इसका नाम अचलेश्वर नाम से शुरू हो गया. अचलेश्वर मंदिर के पीछे से गुजर रही चंबल नदी चमत्कारी शिवलिंग को पखार कर निकलती है. बरसाती सीजन में जब भी चंबल में उफान आता है तो शिवलिंग का चरण स्पर्श कर निकलती है.
3 बार बदलते रंग: अचलेश्वर महादेव की महिमा निराली है. दिन में 3 बार रंग बदलते हैं भोले बाबा. सुबह के पहर शिवलिंग का रंग लाल, दोपहर के समय केसरिया और शाम ढलने के बाद सांवले रंग में आ जाते हैं बाबा. स्वयंभू हैं बाबा भोलेनाथ. शिवलिंग की खास बात यह है कि छोर से लेकर आखिरी भाग तक अब तक कोई पहुंच नहीं पाया. प्रयत्न तो बहुत किए गए लेकिन अब तक शिवलिंग को कोई माप नहीं पाया, गहराई का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सका.