धौलपुर. कोरोना महामारी के दौर में जहां सभी कामकाज लॉकडाउन की वजह से ठप पड़े हैं. वहीं जिले के बाड़ी शहर के मलिकपाड़ा मोहल्ला निवासी 45 वर्षीय युवक रामकुमार उर्फ रामू चौधरी बेजुबान पशु-पक्षी और वन्यजीवों के लिए मसीहा बन गए हैं. रामू अपनी गाढ़ी कमाई से बेजुबानों के लिए हजारों रुपए चारा, दाना, पानी और भोजन के लिए खर्च कर रहा है.
कहते हैं कि, परहित सरिस धर्म नही भाई. पर पीड़ा सम नहिं अघ माहीं, अर्थात परोपकार और पर हित करने से बड़ा कोई धर्म नहीं है. इन वाक्यों को बाड़ी शहर निवासी रामू चौधरी ने जीवन में अपनाकर चरितार्थ किया है. बेजुबान पशु-पक्षी और जानवरों के लिए रामकुमार उर्फ रामू चौधरी अपने 10 वर्षीय पुत्र और बैंक में कार्यरत भतीजे निखिल चौधरी को साथ लेकर सुबह 7 बजे से ही सेवा करने के लिए शुरू हो जाता है. घर में ही जानवरों के लिए चपाती और पूड़ियां बनाई जाती है. उसके बाद मंडी से केला, अनार, तरबूज, लौकी, तोरई और गोभी खरीदी जाती है. इस खाने पीने के सामान को अपनी कार में लादकर वे जानवरों को खिलाने 1 दर्जन से अधिक स्थानों पर निकल पड़ते हैं.
यह भी पढ़ें.Special: ऑक्सीजन को लेकर आत्मनिर्भर बन रहा राजस्थान! 105 नए प्लांट खोलने की तैयारी