धौलपुर.जिले के गांव पाए का पुरा और सेवा का पुरा में संचालित हथकरघा उद्योग की कालीन एवं गलीचों की मांग देश सहित विदेशों में है. हद करघा उद्योग सरकार की बेरुखी से झोपड़ियों में संचालित है.
हथकरघा उद्योग की कालीन एवं गलीचे देश विदेश में अपनी छाप छोड़ रहे हैं. लेकिन उद्योग संचालकों के लिए संसाधनों का अभाव होने पर ये उद्योग दम तोड़ रहे है. कुछ वर्षों पूर्व शुरू हुए लघु उद्योग को ग्रामीणों ने निजी बल बूते पर पंख लगाए थे. प्रशासन और सरकार की उदासीनता से हथकरघा कारखाने बंद होने के कगार पर पहुंच रहे हैं. हथकरघा उधोग से निर्मित कालीन और गलीचों की मांग देश के जयपुर, लखनऊ, हैदराबाद सहित फ़्रांस, रूस, लंदन और ब्राजील में है.
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हथकरघा उद्योग को ग्रामीणों द्वारा निजी स्तर पर जगह का अभाव होने पर झोंपड़ियों में संचालित किया जा रहा है. पूंजी का अभाव होने के कारण इस बेशकीमती उद्योग को पंख नहीं लग पा रहे हैं. आलम यह है कि यह लघु कारखाने बंद होने के कगार पर पहुंच रहे हैं. हथकरघा उद्योग में बेशकीमती कालीन और गलीचे बनाए जाते है.
उद्योग संचालक बचन सिंह ने बताया कि हथकरघा उद्योग को गांव के अंदर झोंपड़ियों में संचालित किया जा रहा है. हथकरघा उद्योग में अधिकांश महिलाओं को रोजगार दिया जाता है. गांव की युवतियां और महिलाएं हाथों से मेहनत कर कालीन एवं गलीचे बनाती है.
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पूंजी का अभाव होने पर कच्चा माल बड़े व्यापारी उपलब्ध कराते हैं. ग्रामीण जयपुर, आगरा, हैदराबाद और लखनऊ से व्यापारियों से सम्पर्क बने हुए है, जो कच्चा माल देते हैं. कच्चे माल की कालीन एवं गलीचे झोंपड़ियों में संचालित हथकरघा उद्योग में बनाए जाते हैं.