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धौलपुर: यूपी सीमा पर रात्रि को रोकी गई किसानों की रैली, कड़ाके की ठंड में रात भर आगरा-मुंबई हाईवे पर बैठे रहे आंदोलनकारी - rajasthan hindi news

धौलपुर जिले में कर्नाटक से आई किसानों की रैली यूपी बॉर्डर पर रोक दी गई. जिसको लेकर मेधा पाटकर ने कहा कि यूपी सरकार ने बता दिया कि वो किसान विरोधी है. वहीं उन्होंने राजस्थान सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने आंदोलन में सहयोग किया है.

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किसानों की रैली बरेठा बॉर्डर पर रोकी

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Published : Nov 27, 2020, 1:38 PM IST

धौलपुर. 22 नवंबर को कर्नाटक से चलकर आई किसानों की आंदोलन रैली को धौलपुर के बरेठा बॉर्डर के पास उत्तर प्रदेश सीमा पर यूपी पुलिस द्वारा रोक दिया गया. जिससे सैकड़ों की तादाद में किसानों का काफिला कड़ाके की सर्दी में आगरा-मुंबई राष्ट्रीय राजमार्ग पर ही पड़ाव लेकर सो गया. जिसके बाद कांग्रेसी विधायक रोहित बोहरा ने किसानों के लिए भोजन पानी की व्यवस्था करवाई.

किसानों की रैली बरेठा बॉर्डर पर रोकी

गुरुवार दोपहर से उत्तर प्रदेश पुलिस और किसान रैली के नेताओं के बीच रैली रोकने के बाद जिद्दोजहद चलती रही लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी सीमा के अंदर सैकड़ों की तादाद में महिला-पुरुष किसानों को प्रवेश नहीं दिया.

किसान रैली का नेतृत्व कर रही नर्मदा बचाओ समिति की नेता मेधा पाटेकर ने कहा कि 26 नवंबर को संविधान दिवस था. इस मौके पर पूरे देश भर में किसानों का आंदोलन जोर पकड़ रहा है लेकिन केंद्र सरकार और जिन प्रदेशों में भाजपा की सत्ता है, वहां किसानों के लिए दमनकारी रुख अपनाया गया. हरियाणा, पंजाब, आंध्र, प्रदेश में जिस का नमूना देखने को मिला है. लाखों की तादाद में किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए बिलों के विरोध में 'दिल्ली चलो' के तहत कूच कर रहे हैं. जिससे केंद्र सरकार की बौखलाहट शुरू हो गई है. हाल ही में केंद्र सरकार ने किसान विरोधी तीन बिल पारित किए थे. बिलों को निरस्त कराने के लिए देशभर के किसानों का काफिला आगे बढा है.

यूपी सरकार किसान विरोधी है

उन्होंने कहा हमारे काफिले में अखिल भारतीय महासभा, नर्मदा बचाओ आंदोलन, लोक संघर्ष मोर्चा महाराष्ट्र, ऑल इंडिया खेत किसान मजदूर संघ, किसान संघर्ष समिति के साथ कर्नाटक के किसानों का भी बड़ा साथ मिला है. किसान रैली का काफिला 22 तारीख से कर्नाटक से शुरू हुआ है. जो महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान होते हुए जब यूपी बॉर्डर पर पहुंचा तो केंद्र सरकार बौखला गई. कर्नाटक, मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आई लेकिन किसान रैली को रोककर यूपी सरकार ने जो चेहरा दिखाया है, उससे साबित हो गया है कि वास्तविक रूप से सरकार किसान विरोधी है.

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किसान रैली को दिल्ली के रामलीला मैदान में आंदोलन की मंजूरी मिली थी, उसके बावजूद यूपी सरकार ने किसानों के साथ बुरा बर्ताव किया है. यूपी सरकार ने आगरा और धौलपुर राजस्थान के यूपी बॉर्डर पर किसानों के काफिले को रोक दिया. ऐसे में सैकड़ों की तादाद में महिला पुरुष-किसानों ने कड़ाके की सर्दी में NH-3 पर ही डेरा डाल लिया है.

कृषि कानून से मुट्ठी भर के कॉर्पोरेट्स को मिलेगा बढ़ावा

उन्होंने कहा किसानों का सत्याग्रह अहिंसक है. किसान सरकार की दमनकारी नीतियों के सामने झुक नहीं सकते हैं. उन्होंने कहा किसानों को चाहिए कि उनको समर्थन मूल्य का उचित दाम मिलना चाहिए लेकिन केंद्र सरकार ने जो तीन बिल पारित किए हैं. उसमें एनएसपी का जिक्र भी नहीं किया है. केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए किसान बिल से जमाखोरी, मुनाफाखोरी के साथ मुट्ठी भर के कॉपरेट्स को बढ़ावा मिलेगा.

रात भर बॉर्डर पर ठंड में जमे रहे आंदोलनकारी

मोदी सरकार ने साजिश रचकर बिल किया पारित

उन्होंने कहा मोदी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान साजिश रचकर किसान विरोधी बिलों को पारित किया है. पाटकर ने कहा किसानों का विरोध केंद्र सरकार के सामने कभी भी कमजोर नहीं होगा लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने किसान आंदोलन रैली को रोककर जो काम किया है, उससे राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार दोनों की बदनामी है.

राजस्थान सरकार की तारीफ, कहा सहयोग किया

राजस्थान सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने किसानों के पक्ष में तीन कानून पारित किए हैं. इस आंदोलन को सहयोग भी राजस्थान सरकार द्वारा दिया जा रहा है. धौलपुर जिले के राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेसी विधायक रोहित बोहरा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर रात्रि में किसानों के पड़ाव को देखने पहुंचे हैं. उन्होंने भोजन-पानी की व्यवस्था किसान रैली के लिए कराई है.

राजस्थान सरकार पंजाब, छत्तीसगढ़ में किसानों के हित में बिल पास

मेधा पाटेकर ने कहा कि राजस्थान सरकार पंजाब, छत्तीसगढ़ एवं देश में अन्य जो भाजपा छोड़कर सरकार हैं, उन्होंने किसानों के हित में बिल पारित किए हैं लेकिन केंद्र सरकार ने किसान विरोधी कानूनों को अलोकतांत्रिक तरीके से पारित किया है.

केंद्र किसान समर्थन में करें काम

उन्होंने कहा केंद्र सरकार ने संसद में सवाल एवं बहस तक नहीं होने दी. उन्होंने कहा अगर केंद्र सरकार किसानों के समर्थन में है तो संविधान दिवस के अवसर पर काले कानून को रद्द कर किसानों के समर्थन में काम करें और किसान आंदोलन से पीछे नहीं हटेंगे.

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