धौलपुर. बाल मजदूरी के प्रति विरोध एवं जागरूकता फैलाने के मकसद से हर साल 12 जून को बाल श्रम निषेध दिवस (child labor prohibition day) मनाया जाता है. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने जागरूकता पैदा करने के लिए 2002 में विश्व बाल श्रम विरोधी दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत की थी.
इसी क्रम में जिला कलेक्टर राकेश कुमार जायसवाल की अध्यक्षता में जिला कलेक्ट्रेट सभागार में विश्व बाल श्रमिक निषेध दिवस को लेकर बैठक हुई. बैठक में बाल श्रम की रोकथाम के निर्देश दिए गए.
जिला कलेक्टर ने बताया कि अधिनियम 1986 में संशोधन कर ढाबों, घरों, होटलों में बालश्रम करवाना दंडनीय अपराध है. बाल मजदूरी रोकने के उपाय के रूप में सरकार ने गुरूपाद स्वामी समिति का गठन किया. बालश्रम से जुड़ी समस्याओं के अध्ययन के बाद समिति ने सिफारिशें प्रस्तुत की. सुझाव दिया गया कि खतरनाक क्षेत्रों में बाल मजदूरी पर प्रतिबंध लगाया जाए.
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समिति ने बाल मजदूरी रोकने के लिए बहुआयामी नीति की जरूरत पर भी बल दिया. उन्होंने कहा कि 1986 में समिति के सिफारिश के आधार पर बाल मजदूरी प्रतिबंध विनियमन अधिनियम अस्तित्व में आया. जिसमें बाल मजदूरी के संदर्भ में जोखिम भरे कार्यों को लेकर कुछ शर्तें लागू की गई. 1987 में बाल मजदूरी के लिए विशेष नीति बनाई गई, जिसमें जोखिम भरे व्यवसाय और प्रक्रियाओं में लिप्त बच्चों के पुर्नवास पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया गया.
अक्टूबर 1990 में न्यूयार्क में इस विषय पर एक विश्व शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें 151 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया तथा गरीबी, कुपोषण और भुखमरी के शिकार दुनिया भर के करोड़ों बच्चों की समस्याओं पर विचार-विमर्श किया.
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भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों और नीति निर्देशों के अनुसार कहा गया है कि धारा 24 में 14 साल से कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्ट्री या खदान में कार्य करने के लिए नहीं लगाया जाएगा. न ही किसी जोखिम भरे काम में बालक की नियुक्ति की जा सकेगी. धारा 39-ई के तहत राज्य अपनी नीतियां इस तरह निर्धारित करे कि श्रमिकों, पुरूषों और महिलाओं का स्वास्थ्य तथा उनकी क्षमता सुरक्षित रह सकें. बच्चों की कम उम्र का शोषण न हो, न ही वे अपनी उम्र और शक्ति के प्रतिकूल, आर्थिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रवेश करें.
पाली कलेक्टर अंशदीप ने जनसमस्याएं और कोविड को लेकर की समीक्षा
पाली जिला कलेक्टर अंशदीप ने सोजत उपखंड कार्यालय में वैक्सीनेशन और शहर की समस्याओं को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक ली. इस दौरान लंबे समय से शहर की सामाजिक संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों और प्रबुद्ध जनों की ओर से सिटी टैंक को लेकर जलदाय विभाग एवं पालिका प्रशासन पर लगातार दबाव बनाने के चलते जिला कलेक्टर अंशदीप ने सिटीटेंक का अवलोकन किया और जलदाय विभाग के अभियंता को तालाब खाली करने के निर्देश दिए.
सामाजिक संस्थाओं द्वारा सोजत के सिटीटेंक तालाब में घातक केमिकल्स युक्त वेस्ट कार्बनिक कचरे के चलते पीलिया, उल्टी, दस्त, चर्म रोग, पेट दर्द, कैंसर आदि रोगों की संभावना के चलते बार-बार प्रशासन को अवगत करवाया जाता रहा है.