धौलपुर. तिब्बत और लद्दाख में हुई बर्फबारी के बाद चकवा चकवी पक्षियों का झुंड धौलपुर (Ladakh To Dholpur) पधारा है. ज्यादा ठंड के कारण वहां भोजन का संकट है तो इन पंछियों ने राजस्थान का रुख किया है. इनका साइंटिफिक नाम रूडी शेल डक है. इनकी उम्र 5 से 6 साल तक की होती है.
भोजन की तलाश और सटीक तापमान
ये नन्हे पंछी ठंडे इलाकों में जीवन बसर करते हैं. लद्दाख या तिब्बत इनका ठिकाना है. चूंकि इन दिनों वहां तापमान माइनस में है, बर्फ जम गई है तो खाने का संकट हो गया है. अपने आहार की तलाश में पंछियों का कुनबा धौलपुर (In Search Of Food Chakva Chakvi Reaches Dholpur) पधारा है.
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'वहां जीवन कठिन यहां अभी आसान'
चंबल घड़ियाल के वनरक्षक हरविंदर सिंह ने बताया कि लद्दाख में इन दिनों खूब बर्फबारी होती है. ऐसे में पक्षियों के लिए भोजन खत्म हो जाता है. फिर भोजन की तलाश में पक्षी अपने क्षेत्र को छोड़कर धौलपुर की चंबल नदी के साथ तालाब शाही सहित राम सागर बांध में भी पहुंच जाते हैं.
जोड़ा भाता है
वन्य जीव प्रेमी मुन्ना लाल भी इसकी तस्दीक करते हैं और इनकी विशेषतायें गिनवाते हैं. उन्होंने बताया चकवा चकवी का प्रजनन काल गर्मी के सीजन में शुरू होता है. गर्मी से ठीक पहले तिब्बत और लद्दाख में माइनस डिग्री का तापमान पहुंच जाने की वजह से इस पक्षी के भोजन की संभावना खत्म हो जाती हैं. जिस को पूरा करने के लिए यह पक्षी दक्षिण भारत की ओर रुख करता है. ऐसे में एक पड़ाव राजस्थान है.
भोजन में घास और जलीय पौधों को खाने वाले चकवा चकवी के लिए चंबल नदी सबसे मुफीद इलाका है. मीठे पानी की चंबल नदी में इन दिनों चकवा चकवी के आने से पर्यटक भी रोमांचित है. एक और बात जो लोगों को आकर्षित करती है. वो ये कि चकवा चकवी हमेशा जोड़ों में ही दिखते हैं.
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ऐसे पहचाने नर और मादा
ये बत्तख के टडोरना वंश की एक जाति है. इन्हें चक्रवाक भी कहते हैं. जिनका रंग गाढ़ा नारंगी या हलका कत्थई होता है, लेकिन इसकी गरदन और सिर बादामी होता है. गरदन के चारों ओर एक काला घेरा रहता हैं, लेकिन मादा इस घेरे से रहित होती है.
शांत स्वभाव का पेंटेड स्टॉर्क अपने परिवार के साथ चंबल नदी आया
धौलपुर जिले की चंबल नदी इन दिनों देशी और विदेशी पक्षियों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है. चंबल का पानी अब सारस पक्षी को इतना पसंद आने लगा है कि यह पक्षी घना पक्षी विहार के साथ सीधे हिमालय की वादियों से चंबल नदी (painted stork in chambal) की ओर पहुंचने लगा है. बुधवार सुबह चंबल नदी में पेंटेड स्टोर्क पक्षी को देखकर वन्य जीव प्रेमी रोमांचित हो गए.
पक्षी प्रेमी मुन्ना लाल निषाद ने बताया कि पेंटेड स्टॉर्क हर साल भरतपुर के घना पक्षी विहार में पहुंचती है. उन्होंने बताया कि इस बार यह पक्षी हिमालय से घना पक्षी विहार के साथ धौलपुर की चंबल नदी में भी पहुंच चुका है. पक्षी की विशेषता बताते हुए उन्होंने बताया कि गुलाबी छरहरी काया वाले पेंटेड स्टॉर्क हिमालय से आकर परिवार के साथ यहां नदी के खुशनुमा माहौल का लुत्फ ले रहे हैं. ये पक्षी बारिश के मौके पर आते हैं. बच्चों को जन्म देते हैं और सर्दी के बाद लौट जाते हैं.
पेंटेड स्टॉर्क शांत स्वभाव और एक ही मुद्रा में घंटों तक खड़े रहने के लिए जाने जाते हैं. इनकी चहचहाहट लोगों को आकर्षित करती है. पेंटेड स्टॉर्क (सारस) इस फैमिली की बड़ी चिड़िया है. ये हिमालय के तराई क्षेत्रों में पाई जाती है. दर्शकों को ये पक्षी खूब आकर्षित कर रहा हैं.