धौलपुर. जिले के दौरे पर पहुंचे बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने पंचायती राज चुनाव को लेकर कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया. जिला परिषद एवं पंचायत समिति वार्ड के प्रत्याशियों की ओर से प्रदेश अध्यक्ष को आवेदन दिए गए. आवेदनों की समीक्षा कर प्रदेश अध्यक्ष ने जिताऊ एवं टिकाऊ प्रत्याशियों को टिकट देने की बात कही है. वहीं राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में बसपा के शामिल हुए 6 विधायकों की सुप्रीम कोर्ट की ओर से सदस्यता निरस्त होने की भी बात कही है.
ईटीवी भारत से खास वार्ता में उन्होंने कहा कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा के सिंबल पर छह विधायक जीत कर आए थे, लेकिन जीते सभी विधायकों ने 6 महीने बाद ही लालच में आकर कांग्रेस का दामन थाम लिया. बीएसपी के सभी विधायकों ने कांग्रेस पार्टी में विलय कर लिया. उन्होंने कहा कि बहुजन समाज पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी है, ऐसे में विधायकों का विलय राष्ट्रीय अध्यक्ष की अभिशंषा पर ही हो सकता है. उन्होंने कहा कि छह विधायक कांग्रेस में शामिल होने के बाद बहुजन समाज पार्टी मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंची थी.
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बसपा की ओर से हाईकोर्ट में लंबी लड़ाई लड़ी गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने दोबारा उसे विधानसभा स्पीकर के पास भेज दिया. स्पीकर ने पहले ही बसपा के सभी विधायकों को कांग्रेस की सदस्यता दिला दी थी. ऐसे में बहुजन समाज पार्टी को भरोसा नहीं रहा कि स्पीकर की ओर से न्याय दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि न्याय नहीं मिलने पर बहुजन समाज पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन विगत 9 महीने से कोरोना महामारी के कारण सुनवाई नहीं हुई. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 4 महीने पहले वकील खड़ा करने के लिए उनको आदेश दिया था, लेकिन लंबा समय गुजर जाने के बाद भी कांग्रेस में विलय हुए बसपा विधायकों ने कोई जवाब नहीं दिया.
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उन्होंने कहा आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने 21 तारीख दे दी. सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया कि 4 हफ्ते में जवाब पेश किया जाए. हम याचिका की सुनवाई कर इस पर फैसला देंगे. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें पूरा भरोसा है कि बसपा के कांग्रेस में शामिल हुए सभी 6 विधायकों की सदस्यता सुप्रीम कोर्ट की ओर से निरस्त की जाएगी. उन्होंने कहा सभी विधायकों ने बहुजन समाज पार्टी के साथ दगा कर अनैतिक काम किया है. इन विधायकों को उनके किए की सजा न्यायालय देगा.
दल बदल विरोधी कानून बन चुका है लेकिन इसमें लचीलापन होने के कारण याचिका को पहले ही स्पीकर के पास भेज दिया जाता है. स्पीकर सत्ताधारी पार्टी का होता है तो न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती है. उन्होंने कहा कि दल बदल विरोधी विधेयक की दोबारा से व्याख्या होनी चाहिए. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कानून में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि कोई भी विधायक अपनी पार्टी को छोड़कर अन्य दल में जाता है तो उसकी सदस्यता तुरंत निरस्त होनी चाहिए.