धौलपुर.राजनीति में कभी स्थायित्व नहीं होता है. कब दोस्त दुश्मन बन जाएगा और कब दुश्मन दोस्त बन जाए यह सियासत की पुरानी कहावत है. वर्तमान समय में राजस्थान प्रदेश की सियासत में ऐसे ही हालात देखे जा रहे हैं. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राष्ट्रीय दल आपसी खींचतान और बगावत से जूझ रहे हैं. धौलपुर जिले की सियासत की बात की जाए तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का गढ़ माना जाता है. लेकिन वर्तमान में विधानसभा, पंचायती एवं निकाय चुनाव में बीजेपी चारों खाने चित पड़ी है. जिले के बाड़ी, बसेड़ी और राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेसी विधायक हैं. वही धौलपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के सिंबल पर चुनाव जीती विधायक शोभारानी कुशवाहा भी बीजेपी से बगावत कर कांग्रेस के साथ खड़ी हो गई है. जबकि शोभारानी कुशवाहा को वसुंधरा राजे का सबसे चहेता माना जाता था।
मौजूदा वक्त में भाजपा धौलपुर जिले में पूरी तरह से सिमट चुकी है. विधानसभा से लेकर पंचायती एवं निकाय चुनाव में भाजपा को पिछले चुनावों में करारी हार मिली है. पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सियासत का किला कहे जाने वाला बीजेपी का गढ़ लगभग ध्वस्त हो चुका है. आगामी विधानसभा चुनाव नजदीक है. ऐसे में बीजेपी को अपने वजूद को बचाना बड़ी चुनौती साबित होगी. वसुंधरा राजे की सबसे नजदीकी एवं चहेती विधायक शोभारानी कुशवाहा मानी जाती थी. लेकिन राज्यसभा चुनाव में भाजपा से बगावत कर कांग्रेस के प्रमोद तिवारी को वोट देकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पाले में पहुंच गई. भाजपा ने विधायक शोभारानी की बगावत पर एक्शन लेते हुए उन्हें पार्टी से निष्कासित भी कर दिया. शोभारानी कुशवाहा विगत लंबे समय से पर्दे के पीछे से कांग्रेस के साथ ही काम कर रही थी. लेकिन 7 मई को धौलपुर के मरेना कस्बे में मुख्यमंत्री की हुई सभा में शोभारानी कुशवाहा की सार्वजनिक तौर पर हुई एंट्री से जिले के भाजपाइयों के अरमानों पर पानी फिर गया. ऐसे में धौलपुर जिले में भाजपा पूरी तरह सिमट चुकी है. आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा के क्या हालात होंगे यह आने वाला वक्त ही तय करेगा.
कांग्रेस में भी गुटबाजी बरकरार, मंच से सीएम अशोक गहलोत ने हर घटना का किया जिक्र :7 मई 2023 को महंगाई राहत कैंप के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की हुई सभा राजस्थान ही नहीं अपितु देश की राजनीति में अहम बन गई है. मुख्यमंत्री की सभा में गद्दारी और वफादारी का जमकर जिक्र हुआ. उन नामों का भी खुलासा हुआ जो वर्ष 2020 में प्रदेश में आये सियासी भूचाल में साथ रहे और बगावत कर चले गए. गद्दारी वफादारी को लेकर सीएम का दर्द भी झलका और बिना नाम लिए सचिन पायलट समेत 19 विधायक पर भाजपा से फंडिंग कर खरीद फरोख्त के आरोप लगा दिए. आरोप लगने के बाद भाजपा हमलावर हो गई. बीजेपी के कद्दावर नेता मुख्यमंत्री को घेरने में लगे है. मुख्यमंत्री ने खुले मंच से बाड़ी विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा एवं बसेड़ी विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा की नाराजगी का भी जिक्र किया. सियासी भूचाल के दौरान मानेसर से लौटे विधायक रोहित बोहरा, चेतन डूडी एवं दानिश अबरार की वफादारी का भी मुख्यमंत्री ने जमकर गुणगान किया. ऐसे में भाजपा के साथ कांग्रेस की गुटबाजी भी मुख्यमंत्री के भाषणों से उजागर हो गई. मानेसर घटना में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा एवं खिलाड़ी लाल बैरवा वर्तमान समय में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के पाले में पहुंच चुके हैं. विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा एवं खिलाड़ी लाल बैरवा को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुले मंच से कह दिया कि नाराजगी है, लेकिन मेरी भावनाएं उनके साथ हैं.