धौलपुर.जिले के सरकारी बैंक के कर्मचारी राष्ट्रीय कृत बैंकों के निजीकरण के विरोध में हड़ताल पर चले गए हैं. बैंकों के सामने बैंक कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया. 15 से 16 मार्च तक बैंक कर्मचारियों ने हड़ताल का आह्वान किया है.
बैंकों के निजीकरण के विरोध में बैंक अधिकारी और कर्मचारियों में भारी विरोध देखा जा रहा है. बैंक कर्मचारी हड़ताल पर जाने से आम उपभोक्ताओं को भारी परेशानी हुई. बैंक उपभोक्ता राशि जमा कराने और निकालने के लिए बैंकों के चक्कर लगाते रहे.
धौलपुर में बैंक कर्मचारियों ने बैंकों के निजीकरण को लेकर किया प्रदर्शन बैंक कर्मचारियों ने बताया कि अखिल भारतीय बैंक के आह्वान पर राष्ट्रीय कृत बैंक 15 से 16 मार्च तक हड़ताल पर हैं. उन्होंने कहा केंद्र सरकार एसबीआई और पंजाब नेशनल बैंक समेत करीब एक दर्जन राष्ट्रीयकृत बैंकों को निजी करण क्षेत्र में देना चाहती है. जिससे बैंक कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में लटक रहा है. बैंकों का निजीकरण होने से बैंक का अस्तित्व ही खत्म हो जाएगा. बैंकों में करीब 10 लाख कर्मचारी सेवाएं दे रहे हैं. लेकिन केंद्र सरकार अन्य क्षेत्रों की तरह बैंक सेक्टर को भी निजी करण क्षेत्र में दे रही है.
उन्होंने कहा कि सरकार जन विरोधी और दमनकारी नीति अपनाकर बैंक कर्मचारियों के साथ कुठाराघात कर रही है. जिसे लेकर बैंक कर्मचारी 2 दिन हड़ताल पर रहेंगे. उन्होंने कहा कि ये हड़ताल सरकार की जन विरोधी नीति, बैंकिंग और आर्थिक नीतियों और सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों के निजीकरण और उसमें विनिवेश के सरकार के फैसले के विरोध में है.
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उन्होंने कहा कि आम जनता,किसान, लघु बचत कर्ता, पेंशनभोगी छोटे और मध्यम आकार के उद्यमी, व्यापारियों, स्वरोजगार, विद्यार्थियों, महिलाओं, पिछड़े वर्ग, बेरोजगारी और कर्मचारियों के रूप में देश की 95% जनता के हितों की रक्षा बैंक करती है. लेकिन सरकार बैंक सेक्टर को निजी करण क्षेत्र में देखकर बेईमानी कर रही है. जिससे देशभर के बैंक कर्मचारियों में भारी आक्रोश है.
उन्होंने कहा कि सोमवार से मंगलवार तक बैंक कर्मचारियों ने हड़ताल का आह्वान किया है. बैंक कर्मचारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार ने गंभीर होकर बैंकों के निजी करण के फैसले को वापस नहीं लिया तो आंदोलन को बड़ा रूप दिया जाएगा. बैंक कर्मचारी हड़ताल पर जाने से आम उपभोक्ताओं को भारी परेशानी हुई. उपभोक्ता बैंकों के कामों से चक्कर लगाते रहे. आम उपभोक्ता को बैंक की सेवा से वंचित रहना पड़ा.