धौलपुर. जिले की चंबल नदी से वन्यजीव प्रेमियों के लिए खुशखबरी सामने आई है. घड़ियाल और मगरमच्छ की संख्या में भारी इजाफा देखने को मिला है. साल 1980 में छोड़े गए घडियाल 4 दशक में 14 गुना बढ़ गए हैं. साथ ही डॉल्फिन की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है. वन विभाग के अधिकारियों ने जलीय जीवों की गणना शुरू करा दी है. घड़ियाल नेस्टिंग और केयरिंग कैपेसिटी पर रिसर्च कर वन विभाग जून के आखिर में रिपोर्ट सौंपेगा. क्षमता से अधिक जलीय जीवों की संख्या पाए जाने पर अन्य नदियों में छोड़ने पर विचार किया जाएगा.
राष्ट्रीय चंबल अभ्यारण में घड़ियालों की संख्या में भारी इजाफा होने से वन विभाग की चिंता बढ़ गई है. इसके साथ मगरमच्छ और डॉल्फिन की भी वंश वृद्धि में इजाफा हुआ है. वन विभाग ने चंबल नदी में कैरिंग कैपेसिटी पर रिसर्च शुरू कर दिया है. वन विभाग की रिसर्च टीम घड़ियाल, मगरमच्छ, डॉल्फिन, कछुए आदि जलीय जीवो की गणना करेगी. चंबल के अभ्यारण एरिया में अगर जलीय जीवों की संख्या अधिक पाई जाती है तो सुरक्षा की दृष्टि से अन्य नदियों में शिफ्ट किया जाएगा. वन विभाग के मुताबिक चंबल नदी में जलीय जीवों की संख्या उतनी ही रखी जाएगी, जितने में सुरक्षित रहें और पर्याप्त भोजन ले सकें.
चार दशक में 14 गुना हुआ इजाफा : साल 1980 में पहली बार चंबल नदी में घड़ियाल प्रोजेक्ट शुरू किया गया था. तत्कालीन समय पर 150 घड़ियाल चंबल में छोड़े गए थे. लेकिन 4 दशक में घड़ियालों की आबादी 14 गुना बढ़ गई है. वन विभाग के मुताबिक 2022 के आंकड़ों में चंबल नदी में 2 हजार 14 घड़ियाल पाए गए थे. इनमें 400 से ज्यादा मादा घड़ियाल है. मादा घड़ियाल एक बार में 40 तक अंडे देती है. वन विभाग इसे बेहतर प्रोग्रेस मान रहा है.
चंबल अभ्यारण के डीएफओ स्वरूप दीक्षित ने बताया कि चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या में जो इजाफा हुआ है वह वन विभाग के अथक प्रयासों का नतीजा है. उन्होंने बताया जलीय जीवों की संख्या पिछले साल की अपेक्षा काफी अधिक बढ़ कर सामने आई है. इनमें घड़ियाल के साथ मगरमच्छ, डॉल्फिन और कछुओं की वंश वृद्धि में भारी इजाफा देखने को मिला है. उन्होंने बताया चंबल नदी की क्षमता के अनुसार जलीय जीवों की संख्या कितनी होनी चाहिए, इसके लिए वन विभाग कैरिंग कैपेसिटी का सर्वे करा रहा है. उन्होंने बताया कैरिंग कैपेसिटी सर्वे के मुताबिक अगर चंबल नदी की क्षमता जलीय जीवों से पूरी पाई जाती है तो आगामी समय में घड़ियाल गैप के साथ भारत की अन्य नदियों में छोड़ने पर विचार किया जाएगा.