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धौलपुर पुलिस की कार्रवाई में 44 इनामी और खूंखार डकैतों को भेजा गया सलाखों के पीछे

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सीमा से लगा होने पर जिले की चंबल घाटी डकैतों के लिए सबसे सुरक्षित रही है. समय के बदलाव के साथ पिछले 15 वर्ष से डकैतों की कार्यशैली और अपराध के तरीके में भी भारी अंतर देखने को मिला. आधुनिक तकनीकी डकैतों के साधन और संसाधन का जरिया रही तो वहीं तकनीकी डकैतों को जेल भेजने में भी कारगर साबित हुई है. इस तकनीकि का पूरा लाभ उठाया धौलपुर के युवा और ऊर्जावान आईपीएस पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने.

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खूंखार डकैतों को भेजा गया सलाखों के पीछे

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Published : May 24, 2020, 3:55 PM IST

धौलपुर.चंबल का बीहड़ शुरू से ही बजरी बंदूक बागी और बदमाशों के नाम से विख्यात और कुख्यात रहा हैं. सदियों से जिले के डांग और चंबल क्षेत्र को डकैतों की शरण स्थली माना जाता रहा. चंबल क्षेत्र में डकैतों की बंदूकें कभी भी खामोश नहीं रही. दशकों पहले डकैत फूलन देवी, डकैत मोहर सिंह, डकैत मलखान, डकैत जंगा और डकैत जगजीवन परिहार ने देश के कोने-कोने में चंबल बीहड़ों को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. जिला शुरू से ही चंबल घाटी के नाम से विख्यात रहा है.

खूंखार डकैतों को भेजा गया सलाखों के पीछे

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सीमा से लगा होने पर जिले की चंबल घाटी डकैतों के लिए सबसे सुरक्षित रही है. समय के बदलाव के साथ पिछले 15 वर्ष से डकैतों की कार्यशैली और अपराध के तरीके में भी भारी अंतर देखने को मिला. आधुनिक तकनीकी डकैतों के साधन और संसाधन का जरिया रही तो वहीं तकनीकी डकैतों को जेल भेजने में भी कारगर साबित हुई है. इस तकनीकि का पूरा लाभ उठाया धौलपुर के युवा और ऊर्जावान आईपीएस पुलिस अधीक्षक मृदुल कच्छावा ने.

30 वर्ष के इस युवा पुलिस कप्तान ने चंबल के बीहड़ों को मौजूदा वक्त में लगभग अपराध से मुक्त कर दिया है. चंबल के बीहड़ों का जीवन पूरी तरह से पटरी पर लौट चुका है. चंबल घाटी में दशकों से व्याप्त भय और खौफ लगभग समाप्त हो चुका है. चंबल से अपराध को मुक्त करना धौलपुर पुलिस की बड़ी कामयाबी का हिस्सा माना जा रहा है. हालांकि, कुछ वर्ष पहले तत्कालीन एसपी राहुल प्रकाश और विकास कुमार ने भी बीणा उठाया था. बड़ी-बड़ी सफलता भी अर्जित की गई, लेकिन अपराध बरकरार रहा.

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44 डकैत और हार्डकोर अपराधी भेजे गए जेल

जुलाई 2019 से मई 2020 तक तक एसपी मृदुल कच्छावा ने 44 डकैत और हार्डकोर अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा है, जिनमें पुलिस के लिए बड़ी चुनौती रहा. डकैत जगन गुर्जर का छोटा भाई पप्पू गुर्जर, डकैत लाल सिंह गुर्जर, डकैत रामविलास गुर्जर, डकैत भारत गुर्जर, डकैत रामविलास गुर्जर और डकैत रघुराज गुर्जर शामिल है. हालांकि, दो डकैत गैंग जिनमें एक लाख से अधिक का इनामी केशव गुर्जर और बैजनाथ गुर्जर डांग क्षेत्र में फरार है. दोनों डकैतों की गैंग पुलिस की रडार पर है, जिन्हें गिरफ्तार करने का एसपी ने दावा किया है.

11 महीने पहले अपने पूरे शबाब और धाक पर था चंबल का बीहड़

जिले के चंबल घाटी के बीहड़ों में बंदूक की आवाज करीब 11 माह पहले अपने पूरे शबाब और धाक पर थी. करौली बॉर्डर से लेकर उत्तर प्रदेश के पिनाहट बॉर्डर तक और मध्य प्रदेश के मुरैना बॉर्डर पर आए दिन डकैतों की गोली की आवाज कभी शांत नही रही. अब मानो चंबल के बीहड़ों में पक्षियों का कलरव तो जानवरों की आवाज ही आमजन को लुभा रही है. डांग क्षेत्र का जीवन भय और खौफ से मुक्त हो चुका है. यह कारनामा कर दिखाया है धौलपुर के युवा ऊर्जावान एसपी मृदुल कच्छावा और उनकी टीम ने.

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बदमाश और डकैतों ने किया आत्मसमर्पण

11 महीने की कड़ी मेहनत के बाद डकैत और अपराधियों को चुन चुनकर सलाखों के पीछे भेजा है. एसपी की इस कामयाबी के पीछे करीब एक 12 से ज्यादा पुलिस के निरीक्षक डीएसटी टीम और साइबर सेल की मुख्य भूमिका मानी जा रही है. एसपी के निर्देश में पिछले 11 माह से डकैतों अपराधियों और बदमाशों की धरपकड़ के लिए विशेष अभियान छेड़ा गया. जिस अभियान के अंतर्गत पुलिस और डकैतों की मुठभेड़ हुई तो कहीं पुलिस के दबाव को देख बदमाश और डकैतों ने आत्मसमर्पण किया.

लेकिन कुछ चैलेंज अभी भी बाकी

धौलपुर पुलिस की सबसे बड़ी कामयाबी का हिस्सा माना जा रहा है 59 हजार के इनामी पप्पू गुर्जर की गिरफ्तारी, जो पिछले 15 वर्ष से हत्या, हत्या के प्रयास,अपहरण, लूट, डकैती जैसे दर्जनों मामलों में फरार था. उसके अलावा डकैत भारत गुर्जर, डकैत रामविलास गुर्जर और डकैत भारत भी राजस्थान के टॉप टेन अपराधियों में शामिल रहे हैं. ईटीवी से खास वार्ता में एसपी कच्छावा ने कहा, कि डांग क्षेत्र को लगभग अपराध से मुक्त करा दिया है, लेकिन कुछ चैलेंज अभी पुलिस के लिए बाकी है.


एसपी की टीम के सफलता के खिलाड़ी और मजबूत स्तंभ

चंबल के बीहड़ और डांग क्षेत्र में डकैतों को गिरफ्तार करने में करीब 12 से ज्यादा थाना प्रभारियों के साथ डीएसटी टीम और साइबर सेल की अहम भूमिका रही है. जिनमें प्रमुख रूप से अनूप सिंह सैंपऊ, थाना प्रभारी, योगेंद्र सिंह बाड़ी सदर थाना प्रभारी, कैलाश गुर्जर बसई डांग थाना प्रभारी, परमजीत सिंह पटेल मनिया थाना प्रभारी और धर्म सिंह सरमथुरा थाना प्रभारी ने मुखबिर तंत्र को मजबूत बनाकर दिन रात डकैतों का पीछा कर सफलता दिलाने में चार चांद लगाए हैं.

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लॉकडाउन 4.0 अवधि में पुलिस को मिली 22 बड़ी सफलता

कोरोना वैश्विक महामारी सबसे बड़ी चुनौती पुलिस के लिए थी. जिले में लगातार कोविड-19 पॉजिटिव की संख्या में वृद्धि हो रही थी. ऐसे में पुलिस के लिए लॉकडाउन की पालना और धारा 144 की पालना करना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती था. नफरी कम होने पर भी पुलिस का धर पकड़ अभियान रुका नहीं. कोरोना वैश्विक महामारी के कारण लोगों का जनजीवन पूरी तरह से ठहर गया. आवागमन बंद होने के कारण डकैतों के पास भी संसाधनों की कमी होने लगी थी.

इन डकैत और बदमाशों को भेजा सलाखों के पीछे

  • 1. 59000 का इनामी पप्पू उर्फ जदनार गुर्जर
  • 2. 45,000 का इनामी भारत गुर्जर
  • 3. 40000 का इनामी रामविलास गुर्जर
  • 4. 35,000 का इनामी रघुराज गुर्जर
  • 5. 25,000 हजार का इनामी रामवीर गुर्जर
  • 6. 20,000 का इनामी सुरेंद्र उर्फ सुरेंद्र ठाकुर
  • 7. 17,000 हजार का इनामी जसवंत गुर्जर
  • 8. 12,000 हजार का इनामी विजेंद्र उर्फ राम दुलारे
  • 9. 10,000 हजार का इनामी विनोद उर्फ बंटी पंडित
  • 10. 10,000 हजार का इनामी अनिल उर्फ गुड्डू ठाकुर

    बहरहाल जिन डकैतों के नाम से कभी चंबल घाटी दहशत खाती थी, वही डकैत पुलिस के सर्चिंग अभियान के सामने दुम दबाकर भागते रहे. आखिर पुलिस की कड़ी मेहनत और निष्ठा के सामने डकैतों के हौसले पस्त हो गए.

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