दौसा. प्रदेश में प्रचंड गर्मी का दौर चल रहा है. ऐसे में लोगों को पानी की आवश्यकता भी अधिक पड़ रही है, लेकिन दौसा जिले के अधिकतर गांवों में लोग पीने के पानी के लिए मोहताज हैं. ना केवल ग्रामीण इलाकों में बल्कि शहरी इलाकों की भी यही स्थिति है. संपूर्ण दोसा जिला ही डार्क जोन में है.
बता दें कि दौसा जिले के अधिकतर हिस्सों में भूजल काफी नीचे जा चुका है. करीब 400 से 500 फीट तक का बोरवेल खोदने के बाद कहीं पानी मिलता है, वह भी फ्लोराइड युक्त खारा. एक ओर प्रचंड गर्मी और पानी की कमी, वहीं दूसरी ओर कोरोना से बचाव के लिए बार-बार हाथ धोने की सलाह. ऐसे में जिन क्षेत्रों में लोग पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज हैं भला वहां लोग दिन में बार-बार हाथ कैसे धोएंगे.
कोरोना संकट में पानी की कमी का सामना कर रहे लोगों की समस्या जानने के लिए हमारी टीम धरातल पर पहुंची. दौसा जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूरी पर बैरावास नाम का एक गांव स्थित है. यह गांव पानी की एक-एक बूंद के लिए मोहताज है. करीब सात-आठ वर्ष पूर्व इस गांव में चारों ओर हरियाली थी. लोग सिंचाई करते थे और खेती हुआ करती थी, लेकिन अब सिंचाई तो दूर की बात है लोगों को पीने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा है.
ना हैंडपंप ना एकल बिंदु
बता दें कि पूरे गांव में एक भी हैंडपंप और एकल बिंदु नहीं है, लेकिन निजी स्तर पर काफी संख्या में बोरवेल खुदवाएं गए हैं. जिनमें पानी की आवक बंद है. बैरावास गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर एक निजी बोरवेल में पानी जरूर है. ऐसे में लोग यहां 3 किलोमीटर दूर पैदल पानी लेने आते हैं. कभी कभार इस बोरवेल में भी तकनीकी खराबी से पानी नहीं आता, जिससे लोगों को करीब 8 से 10 किलोमीटर दूर दूसरे गांव से पानी लाना पड़ता है.