दौसा.कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच देश में हुए लॉकडाउन से छोटे-मोटे व्यापारियों के हालत इस कदर खराब हो गए कि उनका गुजर-बसर करना भी मुश्किल हो गया. इसका असर इन व्यापारियों पर इस प्रकार पड़ा कि इनके आगे आर्थिक संकट खड़ा हो गया. आलम यह है कि अब ना तो ये खुद पेट पाल पा रहे हैं और ना ही अपने परिवार की जीविका चला पा रहे हैं. फूल व्यापारियों की बात की जाए तो इनका हाल भी किसी से छिपा नहीं है. इनके पास अब तक कोई काम नहीं है, जिससे कि ये अपना और अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें.
फूल विक्रेताओं पर अब भी संकट यही कारण है कि फूलों की सजावट के जरिए हर मांगलिक कार्य बेहतर बनाने वाले फूल विक्रेताओं की जिंदगी से रौनक धीरे-धीरे खत्म होती जा रही है. काफी लंबे समय से फूल बेचकर अपना जीवन-यापन करने वाले विक्रेताओं पर संकट आ गया है. वैसे देखा जाए तो लॉकडाउन के बाद अधिकांश लोगों के कारोबार शुरू हो गए हैं, लेकिन घर-परिवार में कोई मंगल कार्य नहीं होने के चलते इन फूल विक्रेताओं की बिक्री अब धीरे-धीरे खत्म सी हो गई है. ऐसे में फूलों द्वारा लोगों के घर को मंगल करने वाले इन व्यापारियों का अमंगल होना शुरू हो गया है.
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लॉकडाउन खुलने के बाद अब ना तो शादियों के लिए मैरिज गार्डन सज रहे और ना ही गाड़ियों के ऊपर कोई सजावट हो रही है. दूसरी ओर सावन मास में भी मंदिरों के नहीं खुलने से भक्तों ने सावन में फूलों की खरीद को लेकर कोई रुझान नहीं दिखाया. जिसके चलते इन फूल व्यापारियों की हालत बद से बदतर हो गई है.
'अनलॉक' में भी नहीं आ रहे ग्राहक दौसा जिले की बात की जाए तो यहां के पानी में फ्लोराइड पाया जाता है. यही कारण है कि यहां फूलों की पैदावार ज्यादा नहीं होती, जिसके चलते फूल विक्रेता जयपुर या अन्य कई स्थानों से फूल मंगवा कर उन्हें बेचते हैं और अपना गुजर-बसर करना पड़ता है. यही नहीं, इस लॉकडाउन ने तो उन्हें गुजर-बसर करने लायक भी नहीं छोड़ा. लॉकडाउन खुले हुए दो महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक फूलों की बिक्री न के बराबर है.
फूल विक्रेताओं का कहना है कि शादियां भी न के बराबर हो रही हैं और जो हो रही हैं, उनमें प्रशासन ने सिर्फ 50 लोगों को आने के लिए परमिशन दे रखा है. ऐसे में शादी-विवाह वाले घरों में ना ही फूल का काम करवाया जाता है और ना ही गाड़ियों में सजावट की जाती है. अगर कोई गाड़ियों में सजावट करता भी है तो वह बाजार से रेडिमेड प्लास्टिक के फूल से ही गाड़ियों की सजावट कर ले रहा है. ऐसे में फूल की बिक्री एकदम थम सी गई है.
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फूल विक्रेताओं ने कहा कि सरकारी गाइडलाइन के अनुसार ज्यादातर मंदिर भी बंद चल रहे हैं. सावन में भी कावड़ यात्रा, शिव अभिषेक सहित अन्य धार्मिक आयोजनों पर रोक रही. इससे इन कार्यक्रमों में खपत होने वाली फूलों की बिक्री पूरी तरह बंद रही. ऐसे में अब फूल विक्रेताओं पर रोजी-रोटी का संकट गहराता जा रहा है. हजारा, मोगरा, नौरंगा, सफेद हजारा, गुलाब, सफेद गुलाब, चमेली सहित करीब दस तरह के फूलों को बाहर से लाकर जिले में बेचने वाले फूल विक्रेताओं का हालत यह है कि अब उन्हें फूल और फूलों का किराया निकालना भी मुश्किल हो गया है.