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Special: दौसा के 200 सरकारी स्कूलों में पेयजल की समस्या...कल के भविष्य सूखे कंठ पढ़ने को मजबूर - Dausa latest news

रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून. पानी गये न ऊबरे, मोती, मानूष, चून. रहीम इस दोहे से पानी की महत्वता को बहुत गहराई से समझा रहे हैं. पानी के बिना सच में सब सूना है. सही कहते हैं कि जल है तो कल है लेकिन राजस्थान के दौसा जिले में पानी का संकट इतना गहरा गया है कि कल के भविष्य पानी बिना सूखे कंठ पढ़ने को मजबूर हैं. दौसा के 200 सरकारी स्कूलों में पेयजल की समस्या है, ऐसे में बच्चों के लिए विद्यालय का समय बिना पानी के निकालना कठिन परीक्षा से कम नहीं है. पढ़िए ये स्पेशल रिपोर्ट....

Drinking water problem in Dausa, दौसा न्यूज
दौसा के पेयजल नहीं होने से विद्यार्थी परेशान

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Published : Mar 29, 2021, 12:20 PM IST

दौसा. राजस्थान पेयजल की समस्या गहराती जा रही है. गर्मी में तो स्थिति विकट हो जाती है लेकिन जब ये संकट कल के भविष्य कहे जाने वाले बच्चों पर ग्रहण लगा रहा हो तो ये चिंता और अधिक गहरा रही है. दौसा के सरकारी स्कूलों में पेयजल की गंभीर समस्या है लेकिन इस समस्या का सामना हमारे नौनिहालों को अधिक करना करना पड़ रहा है. ईटीवी भारत की टीम ने जब जिले के प्रारंभिक शिक्षा के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय और राजकीय प्राथमिक विद्यालयों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया. जिसमें सामने आया है कि हालात निकल कर सामने आए सैकड़ों विद्यालयों में जल संकट गहराया हुआ है.

दौसा के पेयजल नहीं होने से विद्यार्थी परेशान

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200 स्कलों में पेयजल की गंभीर समस्या

बता दें कि दौसा में प्रारंभिक शिक्षा के 1102 विद्यालय हैं, जिनमें प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं. इन स्कूल में हजारों की तादाद में बालक-बालिकाएं पढ़ने आते हैं लेकिन इनमें से तकरीबन 200 विद्यालय ऐसे हैं, जिनमें पीने के पानी की विकट समस्या है. वहीं जिले में संचालित 1354 आंगनबाड़ी केंद्रों में से लगभग एक हजार आंगनबाड़ी केंद्र में पानी बिल्कुल नहीं है. विडंबना यह है कि जहां पानी की व्यवस्था है, वो भी सूखे हैंडपंप लोगों को मुंह चिढ़ा रहा है. धरातल पर जो पानी का स्रोत है, वह लंबे समय से सूखे पड़े है या फिर खराब पड़ा है. जिले में दर्जनों ऐसे विद्यालय हैं, जिनमें पानी की सुविधा तो है लेकिन पानी पीने योग्य नहीं है या तो पानी में अधिक खारा है या फिर फ्लोराइड की मात्रा अधिक है. ऐसे में बच्चों को भीषण जल संकट का सामना करना पड़ रहा है.

घर से लाए बोतल से जैसे-तैसे बच्चे चलाते हैं काम

सूखा पड़ा हैंडपंप

कई विद्यालय में अध्यापक अपने स्तर पर पड़ोसियों से बच्चों के लिए पानी मांग कर काम चला रहे हैं. कई विद्यालयों में बोरिंग लगे हुए हैं. जो या तो खराब है या फिर सूखे पड़े हैं. ऐसे में विद्यालयों के शिक्षक भी अपने घर से पानी की बोतल लेकर जाते हैं. बच्चों को भी अपने पीने के लिए पानी घर से ही लाना पड़ता है. जो बच्चे बोतल नहीं लेकर विद्यालय जाते वो विद्यालय समय में पानी के लिए इधर-उधर भटकते रहते हैं. ऐसे में इस गर्मी के मौसम में अब बच्चों के लिए विद्यालय का समय बिना पानी के निकालना कठिन परीक्षा से कम नहीं.

अधिकारियों का कहना कि जल्द होगा समस्या का समाधान

वहीं पानी की समस्या को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम मीणा ने बताया कि जिला कलेक्टर जिला परिषद सीईओ बात करके जलदाय विभाग के अधिकारियों के साथ मीटिंग करके पानी की व्यवस्था करवाने को लेकर चर्चा कर ली गई है. बाकी विद्यालयों में भी पानी की व्यवस्था जल्द करवा दी जाएगी. जिला शिक्षा अधिकारी का यह भी कहना है कि जिन विद्यालयों में पानी अधिक खारा है या फ्लोराइड युक्त है. उसमें भामाशाहों की मदद से RO प्लांट लगाने का प्रयास किया जाएगा. जिससे की उस पानी को पीने योग्य बनाया जा सके लेकिन अधिकारियों की यह बातें सरकारी कार्यालय तक सिमटी हुई नजर आती है.

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एक भी सरकारी स्कूल में वाटर कूलर नहीं

वर्तमान हालात में जिले में बने 1102 विद्यालय में से एक भी सरकारी विद्यालय ऐसा नहीं है, जिसमें वाटर कूलर या वाटर प्यूरीफायर लगा हो. ऐसे हालात में अन्य विद्यालयों में आरओ प्लांट की उम्मीद करना बेमानी है. इस भीषण गर्मी के मौसम में विद्यालयों का विद्यालयों में बिन पानी के समय निकालना बड़ा कठिन हो रहा है.

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