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National Doctors Day: कभी सेवक बने तो कभी अभिभावक...ऐसे हैं ये धरती के भगवान

डॉक्टर न केवल किसी मरीज का इलाज करते हैं, बल्कि उसे एक नया जीवन दान भी देते हैं, इसीलिए डॉक्टर्स को धरती का भगवान का दर्जा दिया गया है. उन्हें जीवन दाता कहा जाता है और इसीलिए ही डॉक्टर्स के समर्पण और ईमानदारी के प्रति सम्मान जाहिर करने के लिए हर साल 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है, हम जानते हैं दौसा के कुछ डॉक्टर्स से कि आखिर क्यों 1 जुलाई को ही डॉक्टर्स डे मनाया जाता है और अपने डॉक्टर कैरियर के दौरान क्या उनके अनुभव हैं.

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Published : Jul 1, 2020, 9:32 PM IST

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डॉक्टर्स डे स्पेशल

दौसा :भारत में 1 जुलाई को और अमेरिका में 30 मार्च को राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है. यह दिन सभी डॉक्टरों को उनकी सेवा के लिए धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है. भारत में हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाने का इतिहास काफी गौरवमयी है. एक आम जिंदगी में डॉक्टर का कितना महत्व है, हम यह अच्छी तरह से जानते हैं. डॉक्टर को इंसान के रूप में भगवान के समान माना जाता है. यह आज के संदर्भ एक दम सटीक हो सकता है जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से पीड़ित है ऐसे में डॉक्टर्स अपनी जान की परवाह किए बगैर दूसरों के जीवन की रक्षा कर रहे हैं.

डॉक्टर्स डे स्पेशल

डॉक्टर्स डे पर ETV भारत ने दौसा के कुछ चिकित्सकों से बात की और आज के दिन को मनाने के पीछे का कारण जाना. महिला विशेषज्ञ डॉ. ऋतु शर्मा बताती हैं कि 1 जुलाई को डॉक्टर बिधान चंद्र राय की जन्मदिन और मृत्यु दिवस दोनों एक साथ आते हैं. वह एक महान चिकित्सक थे. उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया जा चुका किया है. वो स्वतंत्रता सेनानी भी रहे हैं, उन्हीं की याद में देश में 1 जुलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है.

आज डॉक्टरों को किया गया सम्मानित

'पेशेंट की भावनाओं का करें सम्मान'

डॉक्टर ऋतु शर्मा ने कहा कि हम डॉक्टरों को डॉ. बिधान चंद्र राय के जीवन मूल्यों को अपने जीवन में उतार कर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर देखा जाता है कि दिन-ब-दिन पेशेंट और डॉक्टर के बीच झगड़े बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में डॉक्टर्स को अपने पेशेंट को पूरा समय देना चाहिए, पेशेंट की पूरी बात सुननी चाहिए. उसको समझाने की कोशिश करनी चाहिए. जिससे पेशेंट और डॉक्टर के बीच की दूरियां कम हो सके.

पेशेंट के साथ होता है भावनात्मक जुड़ाव

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जिला चिकित्सालय के वरिष्ठ विशेषज्ञ फिजिशियन डॉक्टर आरडी मीणा का कहना है कि वैसे तो वह इस फील्ड में पिछले 20 वर्षों से कार्य कर रहे हैं, लेकिन कोरोला काल में जो अनुभव हुए वह चिर स्मरणीय होंगे. जिले में कोरोना के मरीजों को ठीक करने की जिम्मेदारी जब अचानक डॉक्टर आईडी मीणा के ऊपर आ गई, तो उन्होंने पूरी जिम्मेदारी के साथ में कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज किया.

कोरोना काल में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका

'कभी-कभी बनना पड़ता है अभिभावक'

डॉ. मीणा बताते हैं कि इस दौरान जो सबसे याददाश्त क्षण रहे वह 2 साल के बच्चे के कोरोना पॉजिटिव आने के रहे. माता-पिता के साथ जब एक 2 वर्ष का बच्चा भी कोरोना पॉजिटिव आ गया तो डॉक्टर आरडी मीणा भी चिंतित हो गए. एक बार तो उन्होंने मन बना लिया कि बच्चों को जयपुर रेफर कर दिया जाए, लेकिन अपने अंदर के आत्मविश्वास जगा कर उन्होंने इस बच्चे की जिम्मेदारी खुद उठाने का फैसला किया और फिर स्वयं बच्चे के अभिभावक बन कर दिन रात उसकी सेवा करते रहे.

मरीजों का इलाज करते डॉक्टर

आखिर इस जंग में जीत डॉ. आरडी मीणा की हुई और उन्होंने 2 वर्ष के इस बच्चे को कोरोना से बचाकर एक बार फिर डॉक्टरों के धरती के भगवान होने की बात को साबित कर दिया.

डॉ. आर डी मीणा कहते हैं कि चिकित्सकों को मरीज से पैसे की उम्मीद ना रखते हुए उसका इलाज करना चाहिए. मरीज की देखभाल सेवा भावना के साथ करनी चाहिए, पैसा आवश्यक है, लेकिन प्राथमिकता नहीं है. पैसा सेकेंडरी है. ऐसे में यह प्रोफेशन सेवा का प्रोफेशन है, व्यवसाय नहीं है. चिकित्सक को इसी भावना के साथ काम करना चाहिए.

'ब्लड देकर बचाई मरीज की जान'

डॉक्टर केसी शर्मा बताते हैं कि ब्लड बैंक के इंचार्ज होने के दौरान जब मरीज को इमरजेंसी में ओ ग्रुप पॉजिटिव का ब्लड चाहिए था और जब कहीं से नहीं मिला. तो स्वयं डॉ. केसी शर्मा ने ब्लड देकर अपने मरीज की जान बचाई.

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वहीं डॉक्टर्स डे को लेकर वरिष्ठ सर्जन उमेश शर्मा का कहना है कि चिकित्सक को धरती के भगवान का का दर्जा दिया गया है, इसीलिए मैं सभी चिकित्सकों से संदेश देना चाहूंगा कि सभी चिकित्सक अपना धैर्य नहीं खोए. मरीज के साथ अपना रिलेशनशिप बनाए रखें, जिससे मरीज के मन में भी डॉक्टर के प्रति सम्मान बढे़.

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