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Special : सादगी की मिसाल है यह शख्स, IAS अधिकारी होकर भी करता है यह 'खास' काम

अक्सर हम किसी पशु चरवाहे को देखकर उसके निरक्षर या असभ्य होने का अनुमान लगा लेते हैं. पशु चराने वालों के लिए आम लोगों के बीच इस तरह की धारणा बन चुकी है कि वह अनपढ़ या अशिक्षित होगा. लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पूरी तरह शिक्षित होने के बाद भी जमीन से जुड़े रहते हैं. ऐसे ही शख्स हैं दौसा के रहने वाले यह IAS, जो जानवरों से अपने लगाव के चलते वक्त निकालकर पशुओं की सेवा करते हैं.

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चरवाहे की भूमिका में आईएएस सुमेर सिंह

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Published : Jun 11, 2020, 12:02 PM IST

दौसा. आपने नौकरशाहों को अपना दायित्व निभाते जरूर देखा होगा. किसी भी अधिकारी में हर वो गुण होना जरूरी है जो लोगों से भरे एक बड़े तबके को संभाल सके. हर तरह के छोटे-बड़े फैसले लेने की क्षमता होना और नई योजनाओं को नीति-नियमों के साथ उसका क्रियान्वयन करवाना, जैसी कई बातें हैं जो एक अधिकारी में देखी जाती है. इन सबके साथ ही एक अधिकारी को सौम्य, सरल और विनम्र होना अनिवार्य है. ऐसे सभी गुणों से परिपूर्ण आपको रू-ब-रू करातें हैं एक ऐसे IAS अधिकारी से जो पंजाब के फरीदकोट संभाग में संभागीय आयुक्त पद पर आसीन हैं. आप जानकर हैरान होंगे कि वह एक 'चरवाहे' भी हैं.

चरवाहे की भूमिका में आईएएस सुमेर सिंह

सुमेर सिंह गुर्जर दौसा के सिकराय उपखंड के धूलकोट गांव के रहने वाले हैं. वे 1998 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं और पंजाब के फरीदकोट संभाग में संभागीय आयुक्त पद पर आसीन हैं. उनके ऊपर चार जिलों की जिम्मेदारी है, लेकिन सुमेर सिंह का पशुओं के प्रति ऐसा प्रेम है कि वे अपनी सर्विस में से कुछ समय निकालकर पशुओं की सेवा करते हैं. उन्हें चराने के लिए खेतों में ले जाते हैं.

अपने निवास स्थान पर ही पाली हैं कई गायें

निवास स्थान पर ही पाली हुई हैं गायें...

IAS सुमेर ने अपने निवास स्थान पर ही तीन-चार गायें पाली हुई हैं. रविवार के दिन समय निकालकर वह अपने कार्यस्थल पर भी गोवंश को चराने के लिए ले जाते हैं. सुमेर सिंह का पशुओं के प्रति लगाव ही ऐसा है कि उन्होंने अपने गांव धूलकोट में एक गौशाला भी खोल रखी है.

पशुओं के लिए चारे की पूरी व्यवस्था खुद ही करते हैं

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इस गौशाला में सैकड़ों की तादाद में गोवंश हैं. सुमेर सिंह गुर्जर जब भी गांव आते हैं. फुर्सत के समय में गोवंश को चराने के लिए निकल जाते हैं. साथ ही उनके खाने-पीने का भी सारा बंदोबस्त देखते हैं. सुमेर सिंह गुर्जर का कहना है कि वह भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बनने से पहले अपने गांव में पशु चराया करते थे, इसीलिए उनका गोवंश के साथ आज भी लगाव है. वह जब भी गांव आते हैं तो अधिकांश समय गौशाला में गोवंश के बीच ही बिताते हैं.

निजी खर्चे से करते हैं गायों की सेवा...

सुमेर सिंह गुर्जर बताते हैं कि अपने निजी खर्चे से बनाई गौशाला में वे आवारा गोवंशों को भी रखते हैं, ताकि किसानों की फसलों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सके.

गायों को चराते सुमेर सिंह

आवारा पशुओं को दी गौशाला में जगह...

उनका कहना है कि आवारा गोवंश किसानों की कड़ी मेहनत करके उगाई गई फसलों को नष्ट कर देते हैं, इसीलिए वे इन आवारा गोवंशों को अपनी गौशाला में रखकर किसानों की फसल को भी बचाते हैं. साथ ही उनकी सेवा भी हो जाती है.

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इसके अलावा सुमेर सिंह कभी भी अपने खाने के लिए अनाज और सब्जियां बाजार से नहीं मंगवाते, बल्कि उन्होंने अपने निवास में ही आलू, टमाटर, बैंगन, भिंडी, गोभी, मटर सहित अन्य सब्जियां उगाई हुई हैं.

उनका कहना है कि थोड़ी सी जगह में अपने परिवार के लिए गेहूं और चावल पैदा करके के खाने काम लेते हैं, जिससे उन्हें रासायनिक खाद से तैयार किए हुए खाद्य पदार्थों से बचने में मदद मिल जाती है. वह जैविक खाद का उपयोग करके वह अपनी सब्जियां और अनाज पैदा करते हैं.

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