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प्रशासन के इस आदेश से सिंकदरा पत्थर के व्यापारियों पर मंडराया रोजी-रोटी का संकट - Sikandara stone

दौसा को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले सिकंदरा के पत्थर के व्यापारियों पर खतरा मंडराने लगा है. प्रशासन ने सिकंदरा के पत्थर व्यवसायियों को बेदखली के आदेश दे दिए हैं, जिसके चलते पत्थर व्यवसायियों में हड़कंप मचा हुआ है.

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Published : Jul 26, 2019, 6:07 PM IST

दौसा. जिले को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने वाले सिकंदरा के पत्थर व्यवसायियों पर खतरा मंडराने लगा है. प्रशासन ने सिकंदरा के पत्थर व्यवसायियों को बेदखली के आदेश दे दिए हैं. जिसके चलते पत्थर व्यवसायियों में हड़कंप मचा हुआ है.

सिंकदरा पत्थर के व्यापारियों की रोजी रोटी पर मंडराया संकट

सिकराई उपखंड अधिकारी का कहना है कि सिकंदरा में जो पत्थर व्यवसायी के कारखाने लगे हैं वह कृषि भूमि पर अकृषि कार्य किया जा रहा है. जिसके चलते उन्हें नायब तहसीलदार कोर्ट से बेदखली के आदेश दिए गए हैं और जल्द ही उन्हें वहां से बेदखल भी किया जाएगा.

उपखंड अधिकारी का कहना है कि उन्होंने भूमि कन्वर्जन करवाने के लिए कह दिया गया है कि वह जल्द ही अपनी भूमि कन्वर्जन करवा ले नहीं तो उन्हें वहां से बेदखल कर दिया जाएगा. साथ ही प्रशासन की तरफ से उन्हें अपने पत्थर कारखाने में निकलने वाले कचरे के लिए डी प्रदूषण बोर्ड से रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य कर दिया है.

प्रशासन ने नोटिस के साथ-साथ ही व्यवसायियों पर कार्रवाई करना भी शुरू कर दिया है जिसके चलते उन्होंने आधा दर्जन से अधिक पत्थरों के कारखानों बिजली कनेक्शन भी काट दिए हैं. मामले को लेकर सेंड स्टोन दस्तकार एसोसिएशन के अध्यक्ष आर पी सैनी का कहना है कि व्यापारी प्रशासन की शर्तें मानने के लिए तैयार है लेकिन प्रशासन उन्हें शिल्प पार्क बना कर दें. जब तक सरकार की तरफ से पत्थर व्यवसायियों को शिल्प पार्क बनाकर नहीं दिया जाता तब तक वह अपनी जमीन अपना व्यापार वहां से नहीं हटाएंगे.

स्टोन समिति अध्यक्ष का कहना है कि प्रशासन ने उन्हें अचानक नोटिस जारी करके कार्रवाई शुरू कर दी हम प्रशासन के कार्रवाई का विरोध करेंगे और किसी भी सूरत में व्यवसायियों को जमीन से बेदखल नहीं होने देंगे. हम हर संभव प्रयास करेंगे और सरकार का भी विरोध करेंगे. सरकार से हमारी एक ही मांगे हैं कि पत्थर व्यवसायियों को शिल्प पार्क बनाकर उसमें स्थापित किया जाए. स्टोन समित अध्यक्ष का यह भी कहना है कि अधिकांश पत्थर व्यवसायी कारखानों के लिए जमीन किराए पर लेकर अपना कारखाना चला रहे हैं. ऐसे में वह किराए की भूमि को कन्वर्जन करवाने में भी असमर्थ हैं. ऐसे में यदि प्रशासन पत्थर व्यवसायियों को बेदखल करता है तो हजारों लोगों का रोजगार भी छिन जाएगा.

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