दौसा.कोरोना संक्रमण के बीच लागू हुए 'अनलॉक 1.0' के दरमियान लगभग सभी व्यापार अब धीरे-धीरे पटरी पर आ रहे हैं. लेकिन सरकार ने जिन स्थानों या दुकानों पर ज्यादा भीड़-भाड़ होती है, उनको पूरी तरह से छूट नहीं दी है. ऐसे में सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं स्कूल से जुड़े व्यापार. फिलहाल, स्कूलों को शुरू करने के लिए सरकार की तरफ से अभी तक कोई गाइडलाइन जारी नहीं की गई है. साथ ही निजी और राजकीय विद्यालयों के शुरू होने के दूर-दूर तक कोई चांस भी नजर नहीं आ रहे, जिसके चलते स्कूल यूनिफार्म, स्टेशनरी और बुक्स विक्रेता इसकी भेंट चढ़ते नजर आ रहे हैं.
जानकारी के लिए बता दें कि अंग्रेजी माध्यम से चलने वाले सभी विद्यालय 1 अप्रैल से शुरू होने वाले थे, लेकिन मार्च के अंत में कोरोना के चलते लॉकडाउन की घोषणा हो गई. ऐसे में सभी दुकानदार अपने-अपने व्यापार को बढ़ावा देने के लिए व्यापार में पूरी तरह इन्वेस्ट कर चुके थे. सभी बुक सेलर विद्यालय में चलने वाली सभी बुक्स खरीदकर ला चुके थे. स्कूल यूनिफार्म विक्रेता सभी स्कूलों की यूनिफार्म अपनी दुकान और गोदाम में पहुंचा चुके थे. वहीं स्टेशनरी पूरी तरह प्रिंट होकर कर बाजार में आ चुकी थी, लेकिन अचानक हुए लॉकडाउन ने इनकी मेहनत पर पानी फेर दिया.
आखिर क्या कह रहे विक्रेता?
स्कूल यूनिफार्म विक्रेता आलोक जैन का कहना है कि अगले सीजन के लिए सभी व्यापारी अपने से संबंधित विद्यालयों की यूनिफॉर्म, टाई बेल्ट और जूते सहित अन्य सामान खरीदकर दुकान की गोदाम में रख चुके थे. लेकिन अचानक लॉकडाउन हो गया और दुकानदार आर्थिक संकट में डूब गए. अब स्कूल से जुड़े व्यापारी अपनी दुकान का किराया तक नहीं निकाल पा रहे. जैन ने बताया कि सैकड़ों की तादाद में लोग बेरोजगार हो गए और व्यापारी वर्ग लाखों रुपए के कर्ज में डूब गया.