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किरोड़ीलाल मीणा को सीएम न बनाकर BJP ने पूर्वी राजस्थान को ठगा है : नरेश मीणा

युवा नेता और राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व महासचिव नरेश मीणा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में राजस्थान के सीएम फेस, कांग्रेस की हार के कारण और खुद के भविष्य को लेकर बेबाकी से अपनी राय रखी.

Interview of Naresh Meena
नरेश मीणा से खास बातचीत

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Dec 31, 2023, 11:29 AM IST

नरेश मीणा से खास बातचीत

दौसा. 'आमजन की नजर में प्रदेश में बीजेपी का सीएम चेहरा डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा थे. जिनके कारण आज प्रदेश में बीजेपी सत्ता में आई है. अगर चुनाव से पहले बीजेपी भजनलाल शर्मा को सीएम फेस घोषित कर देती तो बीजेपी कहीं नहीं दिखती. वहीं, अगर कांग्रेस पार्टी सचिन पायलट को सीएम फेस घोषित करके चुनाव लड़ती तो राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती.' युवा नेता और राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व महासचिव नरेश मीणा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में ये बातें कही. नरेश मीणा दौसा जिले के एक गांव में क्रिकेट प्रतियोगिता में शामिल होने आए थे. इस दौरान बांदीकुई से कांग्रेस के पूर्व विधायक रहे गजराज खटाना भी उनके साथ मौजूद थे.

नरेश मीणा ने छात्र जीवन से राजनीति की शुरुआत की थी. विधानसभा चुनाव 2023 में नरेश मीणा ने कांग्रेस से टिकट की मांग की थी, लेकिन एनवक्त पर कांग्रेस ने उनका टिकट काटकर करण सिंह राठौड़ को दे दिया. नरेश मीणा ने बताया कि जब मैं बारां से जयपुर आया था, तब माता-पिता ने मुझे नौकरी के लिए भेजा था, लेकिन मेरे साथी छात्रों ने मुझे राजस्थान विश्वविद्यालय का चुनाव लड़वाया, और मैं चुनाव जीतकर विश्वविद्यालय का जनरल सेक्रेट्री बना. अब कई सालों से मुझे पद और ओहदा नहीं मिला, लेकिन लोगों का प्यार भरपूर मिला है. यही वजह है कि पहली बार छबड़ा से मैंने चुनाव लड़ा, मैं हार गया, लेकिन मुझे 45 हजार वोट निर्दलीय के रूप में मिले.

दौसा से लड़ूंगा लोकसभा चुनाव :उन्होंने कहा दौसा की जनता मुझे आशीर्वाद देगी तो मैं दौसा से लोकसभा का चुनाव लड़ूंगा. इस घोषणा के बाद कई लोगों के मेरे पास फोन आने शुरू हो गए हैं. दौसा में लोगों का पूरा सपोर्ट में मिल रहा है, जिसके कारण मुझे भरोसा है कि दौसा में हम लोकसभा में दमदारी के साथ अपनी जीत दर्ज कर सकते है. मैंने जिस सीट से विधानसभा चुनाव लड़ा, मेरे सामने बीजेपी के बड़े नेता प्रताप सिंह सिंघवी थी. जो 7वीं बार विधायक बने है, और राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके है, लेकिन जीत के लिए उनको पसीने आ गए. मैं धनबल के आगे चुनाव हार गया. हमारे पास पैसों की कमी थी, लेकिन फिर भी हमने 45 हजार वोट हासिल किए. वहीं, प्रताप सिंह सिंघवी ने 22 करोड़ रुपए बांटकर ये चुनाव जीता है, लेकिन बड़े नेता के सामने चुनाव लड़ने में मजा आता है.

दौसा से लोकसभा चुनाव लड़ने की वजह बताते हुए उन्होंने कहा कि राजस्थान में दौसा एक ऐसी सीट है, जहां से कोई चुनाव लड़कर जीतता है, तो उसका नाम राष्ट्रीय परिदृश्य में कहीं ना कहीं सामने आता है. जिस तरह से दिवंगत राजेश पायलट, डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा, पंडित नवल किशोर ने जिस तरह से दौसा का नाम आगे बढ़ाया. उसी तरह देश की राजनीति में नरेश मीणा भी दौसा का नाम आगे बढ़ाएगा.

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पुराने चेहरों को टिकट देना पड़ा महंगा :उन्होंने बीजेपी की ओर से भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर कहा कि सचिन पायलट को जब कांग्रेस ने सीएम नहीं बनाया तो उन्होंने कांग्रेस को ठोकर मार दी थी. उसका नतीजा ये रहा कि पूर्वी राजस्थान की जनता ने कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया. वहीं, इस बार पूर्वी राजस्थान और हाड़ौती की जनता को उम्मीद थी कि डॉक्टर किरोड़ीलाल मीणा को बीजेपी सीएम बनाएगी. इसी उम्मीद के कारण पूर्वी राजस्थान और हाड़ौती की जनता ने बीजेपी को वोट दिया, लेकिन फिर भी पूर्वी राजस्थान की जनता को निराशा हाथ लगी. इसका आमजन में आक्रोश है.

पूर्वी राजस्थान की जनता में कांग्रेस के प्रति रुझान बढ़ रहा है. नए और युवा चेहरों को टिकट मिलता तो कांग्रेस सत्ता में होती. उन्होंने कहा- राहुल गांधी और सचिन पायलट मिलकर नए युवाओं को टिकट देंगे, लेकिन जिस तरह से अशोक गहलोत ने पुराने चेहरों को चुनाव में उतारने की जिद की, उसी का नतीजा है कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर हो गई. कांग्रेस के 17 मंत्री चुनाव हार गए, अगर पुराने चेहरों को हटाकर 40 टिकट कांग्रेस नए लोगों को देती तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार फिर से सत्ता में होती.

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