दौसा. सरकार ने गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों को राहत प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना शुरू की है. जिसके तहत गरीब और मजबूर परिवारों को जोड़कर सरकार राशन और खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाती है. लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि सरकारी नुमाइंदों की कारगुजारी कहे या भ्रष्टाचार या फिर मिलीभगत.
हजारों की तादाद में ऐसे लोग हैं जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा का लाभ लंबे समय से लेते आ रहे हैं. इसमें कुछ लोग ऐसे हैं जो आर्थिक रूप से सक्षम हैं और अधिकांश राजकीय सेवा में अच्छे पद पर हैं. सरकार ने गरीब परिवारों को राहत देने के लिए खाद्य सुरक्षा योजना तो शुरू कर दी, लेकिन इस योजना को लाभ ज्यादातर वो लोग उठा रहे हैं जो पूरी तरह से सम्पन्न हैं. जबकि गरीब मजबूर लोग आए दिन जिला कलेक्ट्रेट पर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में नाम जुड़वाने के लिए प्रदर्शन करते हैं या अधिकारियों के चक्कर लगाते नजर आते हैं.
जिले में ऐसे सैकड़ों लोग हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा योजना के अपात्र हैं. जिले के सिकराय उपखंड में उपखंड अधिकारी अजिताभ आदित्य ने राष्ट्रीय सुरक्षा योजना की जांच करवाई तो तकरीबन 600 से अधिक लोग खाद्य सुरक्षा योजना में ऐसे पात्र पाए गए जो राजकीय सेवा में कार्यरत हैं, और खाद्य सुरक्षा योजना का लंबे समय से लाभ ले रहे हैं. ये तो अकेले सिकराय उपखंड का हाल है.