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प्रदेश भर में प्रसिद्ध महुआ की डोलची होली, होली खेलने में लहूलुहान हो जाते हैं सैकड़ों युवा

दौसा में एक छोटे से गांव में अनोखी होली खेली जाती है. जो कि प्रदेश भर में डोलची होली के नाम से प्रसिद्ध हैं. इस होली में दो गुटों के युवक एक दूसरे पर चमड़े की डोलची में पानी भरकर कोड़े के रूप में फेंकते हैं. जिससे एक दूसरे की पीठ लहूलुहान हो जाती है. ये अनोखी होली शहीद बल्लू की याद में खेली जाती है.

दौसा की खबर, Dolchi Holi
प्रदेश भर में प्रसिद्ध महुआ की डोलची होली

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Published : Mar 11, 2020, 11:38 PM IST

दौसा. जिले के महुआ उपखंड मुख्यालय से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है पावटा गांव में खेली जाती है अनोखी होली, जिसका नाम है डोलची होली. डोलची होली में गांव के दो गुट आपस में दडगस और पीरवाड़ गोत्र के लोग एक दूसरे को होली के लिए आमंत्रित करते हैं और इसके बाद पावटा कस्बे के हदीरा मैदान में दोनों पक्षों के युवक एकत्रित होते हैं.

प्रदेश भर में प्रसिद्ध महुआ की डोलची होली

सैकड़ों की संख्या में अर्धनग्न होकर मैदान में उतरते हैं और हाथ में होती है चमड़े की डोलची. इस दौरान चमड़े की डोलची में पानी को भर कर एक पक्ष के युवक दूसरे पक्ष के युवकों पर कोड़े के रूप में पानी बरसाते हैं. इस दौरान एक दूसरे के ऊपर पानी फेंकने से पीठ भी लहूलुहान हो जाती है. करीब 2 घंटे तक इस तरह की अनोखी होली खेली जाती है और फिर इसके बाद गांव के बुजुर्ग लोगों के की ओर से समझाइश की जाती है. तब जाकर ये होली संपन्न मानी जाती है.

डोलची होली की इस परंपरा में देवर भाभी की भी होली खेली जाती है. गांव के युवक अपनी भाभियों पर डोलची से पानी फेंककर होली खेलते हैं. वहीं महिलाएं भी अपने देवरों पर कोड़े बरसाती हैं. इस अवसर पर पावटा कस्बे में ढोला मारू की सवारी भी निकाली जाती है. इस सवारी को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग जमा होते हैं और पूरे गांव में छतों पर भीड़ जमा हो जाती है और इस आकर्षक सवारी का आनंद लिया जाता है.

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वहीं गांव के युवक डीजे की धुन पर इस सवारी के दौरान नाच गान करते हैं. ये भी बताया जाता है कि सैकड़ों सालों पहले दो गुटों में खूनी संघर्ष हुआ था और इस खूनी संघर्ष में बल्लू नामक युवक की मौत हो गई थी. बल्लू अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी थी और उसका सिर धड़ से अलग हो गया था. ऐसे में बल्लू की याद में ही ये होली मनाई जाती है.

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