दौसा.सरकार और प्रशासन की ओर से देश को स्वच्छ बनाने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रहीं हैं. आमजन को स्वच्छता का संदेश देने के लिए अभियान भी चलाए जाते हैं. लेकिन स्वच्छ भारत मिशन और इस तरह की स्वच्छता योजनाएं कई बार जमीनी स्तर पर असफल दिखती हैं.
ऐसा ही हाल दौसा शहर का है. दौसा नगर परिषद शहर की सफाई के नाम पर हर महीने लाखों रुपए खर्च करता है. लेकिन बावजूद इसके शहर में जगह-जगह गंदगी पसरी हुई है जो कि इस कोरोना काल में बीमारियों को खुला आमंत्रण दे रही है. दौसा में घरों ने निकलने वाले कचरे का समुचित निष्पादन नहीं किया जा रहा. नगर पालिका के ठेकेदारों द्वारा कचरे को उसके सही स्थान पर डंप नहीं करके शहर में इधर उधर डाल दिया जाता है.
हर महीने सफाई पर खर्च होते हैं 25 लाख
जानकारी के अनुसार दौसा नगर परिषद कि ओर से शहर की सफाई व्यवस्था और कचरा संचारण के लिए लगभग 25 लाख रुपए प्रति महीना खर्च किया जाता है. जिससे कि शहर साफ सुथरा बना रहे और सुंदरता कम न हो. लेकिन प्रशासन की लापरवाही और आंख मूंद कर काम करने के कारण हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे.
डंपिंग यार्ड में नहीं डाला जा रहा कचरा
शहर में सफाई कि स्थिति यह है कि, सरकार ने नगर परिषद को डंपिंग यार्ड बनाने के लिए 10 हेक्टेयर भूमि अलग से दी हुई है. लेकिन नगर परिषद के ठेकेदारों की लापरवाही इस कदर है कि शहर के चारों तरफ कचरे के ढेर लगे हुए हैं. नियमानुसार नगर परिषद के सफाई कर्मी शहर से निकलने वाले कचरे को ट्रैक्टरों में भरकर उसे डंपिंग यार्ड में पहुंचाना चाहिए.
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लेकिन ठेकेदार ट्रैक्टरों का डीजल बचाने के लिए शहरवासियों के स्वास्थ्य और शहर के सौंदर्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. वे शहर के लालसोट रोड, जयपुर बाईपास, गणेशपुरा रोड, अस्पताल रोड, रावण का टीला सहित कई जगहों पर शहर से निकाला हुआ कचरा डाला देते हैं.