मेहंदीपुर बालाजी (दौसा). प्रदेश के देवस्थानों पर कोरोना का ग्रहण लगा हुआ है. दौसा जिले के मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के कपाट भी श्रद्धालुओं के लिए बंद हैं. लेकिन प्रभु का नित्य सेवा क्रम पहले की तरह ही जारी है. बालाजी मंदिर की ख्याति विश्व विख्यात है. बालाजी मंदिर जिले का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल हैं. इस मंदिर को जिले का ही नहीं, बल्कि प्रदेश के सबसे बड़े धार्मिक स्थलों में से एक हनुमान जी का चमत्कारी स्थान कहा जाता है. बालाजी में लाखों की तादाद में राजस्थान ही नहीं यूपी, एमपी, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के हजारों लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते थे.
पुजारियों पर गहराया संकट
हर दिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता था और दो से चार हजार लोग हर रोज बालाजी के दर्शन करते थे. वहीं, प्रमुख उत्सवों जैसे जन्माष्टमी, होली, दीपावली पर यह संख्या बढ़ कर लाखों में पहुंच जाया करती थी. इस दौरान श्रद्धालुओं की ओर से यहां चढ़ाए जाने वाला चढ़ावा मंदिर की आय का मुख्य स्त्रोत है. लेकिन एक महीने के अधिक समय से लागू लॉकडाउन के चलते मंदिर की आय पर असर पड़ा है. जिसके चलते पुजारियों और कर्मचारियों पर भी आर्थिक संकट गहरा गया है.
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आसपास कई जिले को लोगों का यहां से चलता है खर्च
वहीं शनिवार और मंगलवार को मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में करीब 1 लाख से अधिक श्रद्धालु ढोक लगाते हैं और भगवान से मन्नत मांगते हैं. इसके बाद मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु वापस आकर कई धार्मिक आयोजन करवाते हैं. जिस वजह से मेहंदीपुर बालाजी में दौसा और करौली जिले के हजारों लोगों को रोजगार मिला हुआ था. लेकिन लॉकडाउन की वजह से सब कुछ चौपट हो गया है.
फुटकर व्यापारियों का धंधा बंद
मंदिरों की बाहर फुटपाथ पर फूल माला, नारियल, प्रसाद, चाय नास्ता बेचने के लिए सैकड़ों लोग बैठे रहते हैं. लेकिन जब श्रद्धालु ही मंदिर में नहीं पहुंच रहे हैं तो इन सबकी बिक्री कहां से हो. इन सबका व्यापार करने वाले लोगों पर भी रोजी-रोटी का संकट गहरा गया है. इस मंदिर से करीब हजारों लोगों का परिवार चलता है. इनके घर इस समय मंदी छाई हुई है.
मंदिर के बाहर थड़ी चौपाटी लगाने वालों पर संकट