चौमूं. यह रोती हुई और पथराई आंखें उस मां की हैं जिसको दर-दर की ठोकरें खाने के लिए उसके बेटों ने सड़क पर छोड़ दिया जिन चार बेटों को इस मां ने 9 महीने कोख में रखा वहीं बेटे आज इस मां की जान के दुश्मन बन बैठे हैं मामला राजधानी के चौमूं कस्बे का है.
चौमूं कस्बे के भोंडया की ढाणी में रहने वाली 75 वर्षीय कमला देवी कुमावत के चार बेटे हैं, लेकिन फिर भी कमला देवी दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. हर मां-बाप को उम्मीद होती है की उनके बच्चे उनकी बुढ़ापे में लाठी बनेंगे, लेकिन जब वहीं बच्चे बेरहम बन जाए मानवता को भूल जाए तो हालत की कमला देवी जैसी ही होती है.
जिन बेटों को बड़े लाड़-प्यार से पाल पोस कर बड़ा किया. आज उन्हीं बेटों के घर में इस मां के लिए जगह नहीं है. चारों बेटों के सर से बचपन में ही पिता का साया उठने के बाद कमला देवी ने ही चारों बेटों को पढ़ाया लिखाया और इस काबिल बनाया कि आज चारों बेटे अपने पैरों पर खड़े हैं.