चूरू. उष्ट्र विकास योजना पर अस्थाई रोक लगा दी है. योजना के 4 साल पूरे होने पर अप्रैल से नए टोढीयों के पंजीयन पर रोक लगा दी गई है. योजना केवल 4 साल के लिए लागू की गई थी अब नई सरकार समीक्षा के बाद ही इसको आगे बढ़ाने या नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया जाएगा. बरहाल पंजीयन पर रोक लगाने से ऊंट पालकों की उम्मीदों पर एक बार बड़ा झटका जरूर लगा है. जानिए योजना शुरू होने के बाद जिले में कितने उंट पालकों को लाभ मिला. भाजपा सरकार ने 2 अक्टूबर 2016 को गांधी जयंती पर उष्ट्र विकास योजना शुरू की थी योजना पूरे राज्य में लागू हुई थी योजना के तहत टोडिया (ऊंट का बच्चा) के जन्म पर ऊंट पालक को कुल 10 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती थी.
चूरू: उष्ट्र विकास योजना पर अस्थाई रोक
रेगिस्तानी जहाज को राजकीय पशु घोषित करने के बाद भाजपा सरकार की ओर से उनके संरक्षण और ऊंट पालन को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई उष्ट्र विकास योजना पर अस्थाई रोक लगा दी गई है.
इसका लाभ सभी वर्ग के ऊंट पालकों को दिया जा रहा था, 2 अक्टूबर 2016 के बाद जिले में पैदा होने वाले 2007 टोडियों के लिए 11 करोड़ 63 लाख, तीन हजार रुपए ऊंट पालकों को दिए जा चुके हैं. पशु गणना 2012 के अनुसार चूरू जिले में 33887 ऊंट थे. 2018 की गणना हो चुकी है. लेकिन अभी तक आंकड़े जारी नहीं किए गए हैं.
तीन चरणों में दी जा रही राशि
टोडीयो के जन्म के 1 माह होने पर तीन हजार रुपए, नो माह की उम्र पूरी करने पर तीन हजार रुपए, 18 माह की उम्र पूरी करने पर चार हजार रुपए, अब तक पहली किस्त का भुगतान 31 मार्च 2019 तक जितने टोडियो ने जन्म लिया है उनके ऊंट पालकों को तीनों किस्त दी जाएगी. योजना के 4 साल पूरे होने पर नए पंजीयन पर अस्थाई रोक है. पंजीकरण करने के लिए नए आवेदन नहीं लिए जा रहे हैं यदि सरकार की तरफ से नए पंजीयन के आदेश मिलेंगे तो शुरू कर दिए जाएंगे