सरदारशहर (चूरू). नारी सशक्त तभी हो सकती है, जब उसे पुरुषों की तरह ही समान अवसर मिले. जब नारी को समान अवसर मिलता है तब नारी हर क्षेत्र में अपनी कार्यकुशलता का लोहा मनवाती है. ऐसा ही कर दिखाया है सरदारशहर की एसडीएम रीना छींपा ने. रीना छींपा ने कोरोना काल के दौरान अपनी कार्यकुशलता, बेहतर मैनेजमेंट से सरदारशहरवासियों को अपना कायल बना लिया है. इसी कारण लोग उनकी तारीफ करते नहीं थकते हैं.
सरदारशहर की उपखंड अधिकारी रीना छिंपा जो कि लगातार कोरोना से सरदारशहर को बचाने के लिए पूरी ताकत के साथ लड़ रही है. कोरोना के नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कभी रीना छिंपा सख्त दिखाई देती है तो कभी ममता मय होकर प्यार से शहरवासियों को समझाइश करती हुई नजर आती हैं. सरदारशहर में कोविड-19 के मरीज शुरूआत में आ गए थे. 1 अप्रैल को एक साथ 7 कोरोना पॉजिटिव मिले थे, इसके बाद क्षेत्र में हड़कंप मच गया. जिसके बाद प्रशासन ने कमान संभाली और जिला प्रशासन के निर्देश पर सरदारशहर में कर्फ्यू लगा दिया गया.
कर्फ्यू तो लगा दिया गया लेकिन सबसे बड़ी चुनौती थी लोग से नियम का पालन करवाना. तभी कोरोना से बखूबी जंग लड़ा जा सकता था. ऐसे में SDM रीना छींपा ने लोगों को कोरोना से बचाव के लिए कमर कस ली. जिसके बाद वे लगातार पूरे क्षेत्र के लोगों से संपर्क कर समझाने का प्रयास करती दिखीं. रीना छींपा ने सरदारशहर में कोरोना जागरुकता के लिए बखूबी कायम किया. वे लोगों से मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग के लिए लगातार समझाइश करती रहीं.
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कोई भूखा न सोये इसके लिए भामाशाहों का लिया साथ
कोरोना काल में सबसे अहम काम था कि कोई भूखा न सोये. इसके लिए उपखंड अधिकारी ने भामाशाहों का सहयोग लिया. जिसके बाद गांव-गांव और शहर के हर वार्ड में जरूरतमंद लोगों तक राशन पहुंचाया गया. उपखंड अधिकारी के प्रयासों से सरदारशहर के काश्तकारों ने भी 1 हजार क्विंटल गेहूं दान दिया. वही चुरू जिले के अंदर सबसे ज्यादा दान किसी तहसील में दिया गया तो वह सरदारशहर के भामासाहों ने दान दिया. जिसके चलते संकट भरा समय आसानी से गुजर गया.
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