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चूरू: बिछड़ने और फिर 17 साल बाद मिलने की सतीश की कहानी...

मानसिक रूप से अस्वस्थ सतीश 17 साल पहले अपने परिवार से बिछड़ गया था. जो गुरुवार को अपने परिवार वालों को एक सामाजिक संस्था की मदद से फिर से मिल गया. सतीश से मिलकर उसकी पत्नी और बेटे खुश हैं. सतीश इतने सालों से चूरू के सरदारशहर में होटलों पर काम करता था जिसके बदले में होटल वाले उसे खाना देते थे.

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Published : Sep 18, 2020, 5:06 AM IST

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मानसिक रूप से अस्वस्थ सतीश 17 साल पहले अपने परिवार से बिछड़ गया था

सरदारशहर (चूरू). एक आदमी 17 साल पहले अपने परिवार से बिछड़ जाता है. परिवार वाले उसको खोजते रहते हैं लेकिन उसका कहीं कोई पता नहीं चलता है. परिवार थक हार कर अपनी जिंदगी गुजर बसर करने की जद्दोजहद में लग जाता है. फिर अचानक से एक दिन परिवार के पास कॉल आती है, फोन पर दूसरी तरफ एक व्यक्ति होता है जिसकी आवाज सुनते ही उसकी पत्नी पहचान जाती है कि यह उसके पति की आवाज है जो बरसों पहले बिछड़ गया था. यह कहानी सैंकड़ों हिंदी फिल्मों का प्लॉट रही है. लेकिन हम आप को ये कहानी जो हकीकत है आज क्यों सुना रहे हैं.

17 साल तक सतीश होटलों पर काम करता रहा

17 साल पहले...

यूपी के मैनपुरी में रजनी अपने पति और 3 बच्चों के साथ रह रही थी. रजनी के दो बेटे और एक बेटी थी. 8 साल का शुभम, 10 साल का सुभाष और 12 साल की उनकी बहन. रजनी के पति सतीश की मानसिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी. एक दिन सतीश अपनी पत्नी रजनी से काम पर जाने का बोलकर घर से चला जाता है. लेकिन फिर सतीश लौट के वापस अपने घर नहीं आता है. रजनी ने कई सालों तक अपने पति को ढूंढने की कोशिश की. कई मंदिरों में मत्थे टेके, मन्नतें मांगी लेकिन उसका पति लौट के नहीं आया. जिसके बाद थक हार के परिवार मैनपुरी से जयपुर चला आता है गुजर बसर के लिए.

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रजनी अपने बेटी, बेटों की परवरिश में लग जाती है. फिर अचानक से एक दिन परिवार के पास फोन आता है. फोन के उस तरफ रजनी का 17 साल पहले बिछड़ा पति सतीश होता है. जिसकी आवाज सुनते ही रजनी ने पहचान लिया. सतीश 17 साल पहले भटक कर सरदारशहर में आ गया था. यहां पर वो होटलों और ढाबों पर काम करता था. जिसके बदले में होटल वाले उसे खाना देते थे. लेकिन फिर कोरोना के बाद लॉकडाउन लग गया और सतीश की तबीयत भी खराब रहने लगी. सतीश को सांस की बीमारी हो गई जिसके बाद होटल वालों ने सतीश को निकाल दिया.

मानसिक रूप से अस्वस्थ सतीश सड़कों पर भटक रहा था. तभी सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश चारण जिनका हाईवे पर होटल है, उन्होंने सतीश को देखा. उन्होंने सतीश को अपने होटल पर रखा और उनकी देखभाल की. सुरेश ने अपने दोस्त सुनील मीणा को इसके बारे में जानकारी दी. दोनों ने सतीश को पहले जोधपुर के अनाथ आश्रम में भिजवाने की बात सोची. लेकिन फिर बाद में उन्होंने सतीश को उसके परिवार से मिलाने की ठानी. सतीश धीरे-धीरे ठीक हो रहा था. जिसके बाद इन्होंने उससे परिवार के बारे में पूछा तो पता चला की वह यूपी के मैनपुरी का रहने वाला है.

सतीश के जिले का पता चलते ही सुरेश चारण और सतीश मीणा ने मैनपुरी के एसपी से बात की और पूरी कहानी सुनाई. जिसके बाद एसपी ने सतीश के परिवार को खोजबीन शुरू की तो पता चला कि परिवार काफी समय पहले ही जयपुर के झोटवाड़ा चला गया है. जिसके बाद परिवार वालों के नंबर पता किए गए और जब परिवार वालों की व्हाट्सअप पर सतीश से बाद करवाई गई तो वो उन्हें पहचान गए. जिसके बाद सामाजिक संस्था ने सतीश को उसके परिवार वालों से मिलाया. सतीश से मिलकर परिवार वालों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा.

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