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2 साल से इलाज को तरस रहा है गुलेरिया का 'राजूराम', बूढ़ी मां ने कहा- हमारी भी सुन लो सरकार

चूरू के सूजानगढ़ कस्बे गुलेरिया में एक राजूराम नाम का व्यक्ति पिछले 2 साल से पैर का इलाज नहीं हो पाने के कारण लाचार पड़ा है. वहीं इसके परिवार में लाचार बूढ़ी मां के अलावा कोई नहीं है. परिवार का गुजारा मां के पेंशन से हो रहा है. मां ने बेटे के इलाज के लिए प्रशासन और सरकार से गुहार लगाई है.

सरकार से मदद की गुहार, pleading with administration for treatment
मां ने लगाई मदद की गुहार

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Published : Jan 13, 2020, 1:58 PM IST

Updated : Jan 13, 2020, 4:03 PM IST

सुजानगढ़ (चूरू).सुजानगढ़ कस्बे के निकटवर्ती गांव गुलेरिया में एक राजूराम नाम का व्यक्ति पिछले 2 साल किसी तरह की मदद ना मिलने से लाचार बिस्तर पर पड़ा हुआ है. एक हादसे में पैर जख्मी हो जाने और इलाज कराने में सक्षम नहीं हो पाने के कारण राजूराम कठिनाई से अपना जीवन गुजार रहा है. राजूराम नायक पिछले दो साल से अपने एक पैर के इलाज के लिए तरस रहा है.

मां ने लगाई मदद की गुहार...

हालात ऐसे हैं कि पीड़ित राजू के घर में कमाने और उसकी देखभाल करने लिए परिवार में एक बूढ़ी मां के सिवाय कोई नहीं है. बूढ़ी मां भी काम करके के घर चलाने में असमर्थ है. मां को मिलने वाले पेंशन से इनका बमुश्किल गुजर-बसर हो रहा है. ऐसे में ये गरीब बेचारे इलाज के लिए पैसे कहां से लेकर आए. वहीं अब तक सरकारी स्तर पर राजूराम की मदद के कोई प्रयास नहीं हुए हैं.

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बूढ़ी मां के अलावा कोई नहीं...

गरीब राजूराम नायक के परिवार में उसकी मां के अलावा कोई नहीं है. राजूराम की मां 65 साल की बनारसी देवी अपनी वृद्धावस्था पेंशन के 1 हजार रुपये से सारा घर खर्च चलाती है. चलने, घूमने, उठने बैठने में असमर्थ राजूराम नायक की सेवा करने वाला और कोई नही है. कई बार निजी स्तर पर लोग सहायता करते हैं, तो कुछ दिन कम तकलीफों से गुजरते हैं. लेकिन तकलीफ होती जरूर है.

काम के दौरान हुआ था हादसा...

30 साल के लाचार युवक राजूराम ने बताया कि वह आरसीसी ढ़लाई के मजदूर का काम करता था. करीब 2 साल पहले गनोड़ा रोड पर उसका बायां पैर ढलाई की मशीन से कुचल गया. उसके बाद उसको सुजानगढ़ के बगडिया अस्पताल लाया गया. जिसके बाद उसे सीकर रेफर किया गया.

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कमर में लग चुकी है रॉड...

इलाके के दौरान कमर में एक रॉड डाली गई. पैर पर भी पट्टा किया गया. कमर तो ठीक हो गई, लेकिन दिनों दिन पैर में एक अनजान बिमारी फैलती गई और धीरे-धीरे पैर ने काम करना बंद कर दिया.

गांव के भामाशाह करते हैं मदद...

गांव के कुछ भामाशाहों ने अपने स्तर पर 5-10 हजार की सहायता किया है. लेकिन इतनी सी सहायता पीड़ित राजू के इलाज के लिए नाकाफी है. विडंबना यह है कि इतने बुरे हालाते के बाद भी सरकार और प्रशासन की ओर से मदद के लिए कोई कदम नही उठाए गए है. ना ही क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि सामने आए हैं.

मां ने लगाई मदद की गुहार...

राजूराम की मां कहती है कि उसके बेटे को ईलाज की जरूरत है. समाज, लोग, दानदाता मदद कर सकते हैं. लेकिन सरकार से बड़ा कोई नहीं होता. इसलिए सरकार मेरे बेटे का इलाज करवा दें तो मेरा बुढ़ापा सुधर जाये.

Last Updated : Jan 13, 2020, 4:03 PM IST

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