सरदारशहर (चूरू).जिले के सरदारशहर तहसील में 210 गांव आते हैं. यहां की मिट्टी ने राजस्थान को ही नहीं भारत देश को कई दिग्गज नेता दिए हैं. चाहे फिर केंद्रीय मंत्री रहे स्वर्गीय दौलतराम सारण हो या चंदनमल बैद हो या फिर वर्तमान में उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ हो या अब वर्तमान में 7 बार के विधायक पंडित भंवरलाल शर्मा हो. इन सभी नेताओं की जन्म भूमि सरदारशहर ही रही है, लेकिन इस शहर का दुर्भाग्य यह रहा कि इस शहर की पानी निकासी की व्यवस्था की ओर किसी भी राजनेता का ध्यान नहीं गया. दशकों से चली आ रही जलभराव की समस्या आज भी वैसी ही है, जैसे पहले थी. साल बदले, महीने बदले, दिन बदले नहीं बदली तो यहां की जरा सी बारिश होते ही जलभराव की समस्या.
जरा सी बारिश होते ही यहां का मुख्य बाजार मानों नदी बन जाता है. बारिश ना भी हो तो भी शहर के कई हिस्सों में पानी जमा रहता है. जिसके चलते ना सिर्फ व्यापारियों को व्यापार चौपट हो रहे हैं, बल्कि महामारी फैलने का खतरा भी हर समय बना रहता है. बारिश के मौसम में सब्जी मंडी सहित निचले इलाकों में कई महीनों तक पानी भरा रहता है, जिसके चलते सब्जी व्यापारियों का व्यापार चौपट हो जाता है.
महाराजा सरदारसिंह ने 1838 बसाया था शहर
बड़े अरमानों के साथ इस शहर को महाराजा सरदारसिंह ने 1838 में गद्दी पर बैठने से पहले बसाया था. शहर के चारों तरफ मिट्टी के टीले हैं. जिसके चलते इस शहर का सौंदर्य देखते ही बनता है. ऐतिहासिक दृष्टि से महत्व रखने वाली यहां छतरियां भी हैं. विश्व प्रसिद्ध इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर भी यहां है. इसके अलावा यहां का घंटाघर भी बहुत प्रसिद्ध है, क्योंकि घंटा घर के नीचे से चार रास्ते गुजरते हैं यह भारत का एकमात्र ऐसा घंटाघर है, जिसके नीचे से चार रास्ते गुजरते हों.
राजनेता भूल जाते हैं सारे वादे
चुनाव के समय पानी निकासी के मुद्दे पर सरदारशहर में राजनीति होती हैं. दशकों से राजनेता वादे करते हैं और चुनाव जीतकर भूल जाते हैं. ऐसे में अब तक समस्या का निराकरण नहीं हुआ. जिसके चलते अब स्थानीय लोगों का धैर्य जवाब देने लगा है, क्योंकि बारिश के दिनों में यहां की स्थिति बद से बदतर हो जाती है. शहर का मुख्य बाजार पानी से लबालब हो जाता है. यहां तक की पानी दुकानों में घुस जाता है और व्यापारियों का करोड़ों रुपए का नुकसान हो जाता है, लेकिन जनप्रतिनिधियों की नाकामी और प्रशासन के लचीलेपन के चलते समस्या का समाधान नहीं हो रहा है.
मुद्दे पर होती रही है राजनीति
सरदारशहर में जलभराव की समस्या नई नहीं, दशकों पुरानी है. लेकिन इस मुद्दे पर दोनों ही बड़ी पार्टी द्वारा राजनीति होती रही है. वर्तमान में भी सरदारशहर में नगर पालिका भाजपा की है और विधायक कांग्रेस पार्टी के हैं. वहीं निवर्तमान नगरपालिका उपाध्यक्ष मुरलीधर सैनी ने आरोप लगाया कि यहां पर कांग्रेस की ही नगर पालिका अधिकांश समय तक रही है. पहली बार भारतीय जनता पार्टी की नगरपालिका बनी थी, लेकिन कांग्रेस का विधायक होने के चलते हमें काम करने नहीं दिया गया. जिसके चलते यह समस्या बनी हुई है. हमने आते ही प्रयास किए थे कि इस समस्या का जल्द ही समाधान हो जाए, लेकिन कांग्रेस नेता इस समस्या का समाधान नहीं चाहते हैं.
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वहीं निवर्तमान नगरपालिका नेता प्रतिपक्ष राजकरण चौधरी ने कहा कि भाजपा की नगरपालिका थी. हमने इस समस्या के समाधान के लिए पूर्ण सहयोग किया, लेकिन मजबूत इच्छाशक्ति नहीं होने के चलते इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है.
समस्या का हल अब तक नहीं निकला
वही व्यापारियों का कहना है कि सत्ता चाहे भाजपा के पास रही हो या कांग्रेस के पास, दोनों ने ही सत्ता की मलाई खाई है. लेकिन जन समस्याओं की ओर ध्यान नहीं दिया. जिसके चलते यह समस्या आज तक बनी हुई है. अगर समस्या का हल निकल जाए तो आम लोगों के साथ यहां के व्यापारियों को भारी राहत मिले.
कारोबारी प्रह्लाद सर्राफ बताते हैं कि बारिश के दिनों में स्थिति और भी भयावह हो जाती है. शहर का मुख्य बाजार 3 से 4 दिन तक बंद रहता है और बारिश के दिनों में तो यह 1 महीने में 4 से 5 दिन ही खुल पाता है, क्योंकि जरा सी बारिश में यहां पानी घुटनों तक आ जाता है. जिसके चलते पूरा व्यापार चौपट हो जाता है.