चूरू.एक छोटे से गांव से निकला युवा आज टीवी की दुनिया का चमकता सितारा बन गया है, जिस माया नगरी में हर रोज अनगिनत लोग फिल्मी दुनिया के सितारे बनने आते हैं. उसी माया नगरी में न जाने कितने लोगों के हर रोज सपने टूटते भी हैं. उसी माया नगरी में ग्रामीण परिवेश से निकले योगेश परिहार के लिए युवाओं और नौजवानों के बीच अपनी पहचान बनाना कोई आसान काम नहीं था. योगेश परिहार मूल रूप से चूरू जिले की राजगढ़ तहसील के गांव सांखू फोर्ट के निवासी हैं.
परिहार, जयपुर रंगमंच से भी जुड़े रहे हैं, वह अवॉर्ड विनिंग शॉर्ट मूवी श्मशान में भी नजर आ चुके हैं. उनकी फिल्म को बेस्ट शॉर्ट फिल्म का अवॉर्ड दिए जाने की घोषणा की गई, लेकिन जब अवॉर्ड फंक्शन में पहुंचे तो दो घंटे के इंतजार के बाद भी फिल्म का नाम अनाउंस नहीं किया गया. ऐसे में वह परेशान होकर फंक्शन से बाहर आ गए. उनके बाहर आते ही फिल्म का नाम अनाउंस हो गया. योगेश कहते हैं कि उन्हें आज तक इस बात का अफसोस है कि यदि उन्होंने थोड़ा सा धैर्य रखा होता तो अपनी फिल्म को अवॉर्ड मिलते देख पाते, लेकिन इस घटना से उन्हें सीख मिली और उन्होंने भविष्य में ऐसा फिर नहीं करने की सीख ली. योगेश मुंबई में रहकर अपना भाग्य आजमा रहे हैं.
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रियल लाइफ और रील लाइफ में अंतर
योगेश परिहार का कहना है कि रियल लाइफ में हमें पता नहीं होता कि कल क्या होने वाला है या अगले एक घंटे बाद क्या होने वाला है. लेकिन रील लाइफ में हमें पता है कि इस सीन में अभी मैं जिंदा हूं तो अगले सीन में मुझे मरना है. उन्होंने कहा कि असल जिंदगी में लोगों के मन में पुलिस के लिए एक धारणा रहती है कि पुलिस अपराध होने के बाद मौके पर पहुंचती है और पुलिस लोगों को कॉपरेट नहीं करती. लेकिन हकीकत में सिचुएशन है क्या, ये हमें नहीं पता. उन्होंने कहा कि एक बड़े एरिया में एक पुलिस थाना और उस एक पुलिस थाने में एक वाहन और अगर दो तीन जगह क्राइम हो गया तो पुलिस एक स्थान के अलावा दूसरे अपराध होने वाले स्थान पर कैसे समय पर पहुंचेगी.