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भारत-पाक युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर मनाई स्वर्ण जयन्ती - भारत पाक युद्ध की स्वर्णिम जयंती

भारत-पाक के 1971 के युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर भारतीय सेना इस युद्ध की याद में स्वर्णिम वर्ष समारोह मना रही है. इस युद्ध के हीरो रहे लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह के घर रतनगढ़ तहसील के गांव कुसुमदेसर में सेना के अधिकारी विजय मशाल जुलूस लेकर शुक्रवार को पहुंचे. सगत सिंह के 8 नंबर के पैतृक घर से मिट्टी का नमूना एकत्रित किया, जिसे दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के लिए ले गए.

Lieutenant General Sagat Singh, Golden Jubilee of Indo Pak war
भारत-पाक युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर मनाई स्वर्ण जयन्ती

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Published : Apr 3, 2021, 9:46 AM IST

रतनगढ़ (चूरू). भारत-पाक के 1971 के युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर भारतीय सेना इस युद्ध की याद में स्वर्णिम वर्ष समारोह मना रही है. इस युद्ध के हीरो रहे लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह के घर रतनगढ़ तहसील के गांव कुसुमदेसर में सेना के अधिकारी विजय मशाल जुलूस लेकर शुक्रवार को पहुंचे और वहां से सगत सिंह के 8 नंबर के पैतृक घर से मिट्टी का नमूना एकत्रित किया, जिसे दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के लिए ले गए.

भारत-पाक युद्ध के 50 वर्ष पूरे होने पर मनाई स्वर्ण जयन्ती

इस मौके पर सैनिक अधिकारी की ओर से परिवारजन एवं सरपंच अनिता कंवर का सम्मान किया गया. इस मौके पर सैनिक अधिकारी कर्नल रणविजय सिंह पुत्र लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह, क्षेत्रीय विधायक अभिनेश महर्षि, रिटायर्ड एडिशनल एसपी नरेंद्र सिंह एवं पवन सिंह कुसुमदेसर ने समारोह को संबोधित किया. वक्ताओं ने आज के इस दिन को कुसुमदेसर के लिए ऐतिहासिक दिन बताया. मशाल जुलूस का गांव में पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया.

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बीकानेर से पधारे सैन्य अधिकारियों ने बताया कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में जीत के 50 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में बीकानेर सैन्य परिसर में सैन्य अधिकारियों ने विजय मशाल जुलूस निकाला. रणबांकुरा डिवीजन के अधीनस्थ तोपखाना उपखण्ड का दल विजय मशाल के साथ पदम विभूषण से अलंकृत ले. जनरल सगत सिंह के पैतृक गांव कुसुमदेसर पंहुचा. ले. जनरल सगतसिंह के पैतृक घर से वहां की मिट्टी का नमूना एकत्रित किया गया, जिसे नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय युद्ध स्मारक ले जाया गया. स्थानीय गणमान्य व्यक्तियों और निवासियों के समक्ष युद्ध में शहीद व हिस्सेदार जवानों और उनके परिवारजनों को सम्मानित किया गया. इसके बाद विजय मशाल चूरू के लिए रवाना हुआ.

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