राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / state

Tokyo Olympics 2021 में तीसरे गोल्ड पर निशाना लगाएगा चूरू का लाल, पिता की मौत से टूट गए थे झाझड़िया, मां ने दिया था संबल, बोला- तेरा काम देश के लिए खेलना है - Para-Olympics

राजीव गांधी खेल रत्न अवार्डी देवेंद्र झाझड़िया (Devendra JhaJhariya) ने टोक्यो में अगले महीने हो रहे पैरा ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है. इस दौरान झाझड़िया ने कहा कि इस खुशी के अवसर पर अपने पिता को याद करता हूं, जिन्होंने मुझे उंगुली पकड़कर चलना सिखाया, खेलने का हौसला दिया. आज वे मेरे पास नहीं हैं, लेकिन सोचता हूं कि वे जहां भी हैं, देख रहे होंगे कि मैं तीसरे गोल्ड का उनका सपना पूरा करने जा रहा हूं.

देवेंद्र झाझड़िया, Devendra JhaJhariya, Tokyo Olympics 2021
देवेंद्र झाझड़िया

By

Published : Jul 1, 2021, 5:27 PM IST

चूरू. एथेंस और रियो पैरा-ओलंपिक खेलों में देश के लिए दो गोल्ड मेडल जीतने वाले खिलाड़ी और राजीव गांधी खेल रत्न अवार्डी देवेंद्र झाझड़िया ने टोक्यो में अगले महीने हो रहे पैरा ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर लिया है. झाझड़िया ने नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में अपने ही रिकॉर्ड 63.97 मीटर को तोड़कर 65.71 मीटर भाला फेंकते हुए ओलंपिक कोटा हासिल किया है.

'23 अक्टूबर को पिता का देहांत मेरे लिए बहुत बड़ा झटका था'

झाझड़िया ने अपने प्रदर्शन पर बोलते हुए कहा कि वे बहुत खुश हैं और इससे उनका आत्मविश्वास और मजबूत होगा. उनकी कोशिश है कि इससे भी बेहतर प्रदर्शन कर भारत को तीसरा गोल्ड मेडल दिला पाएं. देवेंद्र ने बताया कि दो साल से कोविड से संघर्ष सबकी तरह उनके लिए भी एक चुनौती था. इसके बीच ट्रेनिंग भी एक चैलेंज रहा. यहां तक कि लॉक डाउन में एक कमरे में ट्रेनिंग करनी पड़ी. इस ट्रायल से पहले काफी चैलेंज आए. 23 अक्टूबर को पिताजी का देहांत मेरे लिए बहुत बड़ा झटका था. हिंदू रीति रिवाज से 12 दिन के लोकाचार पूरे करते ही मां ने कहा कि तेरा काम देश के लिए खेलना है, तू ट्रेनिंग पर जा.

'परिवार से मिले हो गए 7 महीने'

ऐसे हालात में मम्मी को छोड़ना मेरे लिए मुश्किल था, लेकिन देश को प्राथमिकता दी. उसके बाद 7 महीने हो गए, किसी से नहीं मिला. लगातार गांधी नगर ट्रेनिंग कैंपस में रहा. रात को 9 बजे बस एक बार परिवार से बात होती है. छह साल का बेटा यह सब नहीं समझता, वह रोज कहता है कि आप कल ही आ जाओ. बेटी समझदार है, वह जिद नहीं करती. इन सब के बीच जो प्रदर्शन किया है, उससे बहुत खुश हूं.

'तीसरे गोल्ड पर निशाना, पिता के सपने को करुंगा साकार'

उन्होंने कहा कि 40 साल की उम्र में विश्व रिकॉर्ड करना खुद मेरे लिए भी बहुत खुशी का विषय है. इस प्रदर्शन में निस्संदेह मेरे कोच सुनील तंवर और फिटनेस ट्रेनर लक्ष्य बत्रा का बड़ा योगदान है. मेरे परिवार का, मेरी मां का बड़ा योगदान है. इस खुशी के अवसर पर अपने पिता को याद करता हूं, जिन्होंने मुझे उंगुली पकड़कर चलना सिखाया, खेलने का हौसला दिया. आज वे मेरे पास नहीं हैं, लेकिन सोचता हूं कि वे जहां भी हैं, देख रहे होंगे कि मैं तीसरे गोल्ड का उनका सपना पूरा करने जा रहा हूं. अपने अंतिम समय में वे कैंसर से पीड़ित थे, तब भी कहते थे कि जाओ, तैयारी करो.

8 साल की उम्र में काटने पड़े थे हाथ

बता दें, चूरू जिले के गांव झाझड़ियों की ढाणी में 1981 में जन्मे देवेंद्र झाझड़िया का हाथ 8 साल की उम्र में पेड़ पर चढ़ते समय करंट आने से हुए हादसे के कारण काटना पड़ा. इसके बावजूद उनका हौसला कम नहीं हुआ और खेलों में उनकी जबरदस्त रूचि थी. उन्होंने खेलना शुरू किया और 2002 में कोरिया में हुए खेलों में गोल्ड मेडल जीता.

खेल रत्न अवार्ड से सम्मानित हैं देवेंद्र झाझड़िया

वहीं, इसके बाद उन्होंने 2004 में एथेंस पैरा ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई किया और वहां भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए न केवल स्वर्ण पदक जीता बल्कि 62.15 मीटर जेवलिन फेंककर नया वल्र्ड रिकॉर्ड भी कायम किया. इस ओलिंपिक में सफलता पर उन्हें 2004 में अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया गया. बाद में मार्च 2012 में उन्हें राष्ट्रपति की ओर से भारत के प्रतिष्ठित पद्मश्री अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. यह सम्मान प्राप्त करने वाले वह पहले पैरा ओलिंपियन हैं. इसके बाद उन्होंने 2016 में रियो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता, जिसके बाद उन्हें सर्वोच्च खेल पुरस्कार खेल रत्न अवार्ड दिया गया.

यह भी पढ़ेंःजोधपुर में जन्मी मिताली राज को मिले खेल रत्न, BCCI ने सरकार से की सिफारिश

यह भी पढ़ेंःझालावाड़ की पूजा तेजी ने नेशनल एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतकर रचा इतिहास, राजे ने दी बधाई

ABOUT THE AUTHOR

...view details