चूरू. जिले में साल 2009 के सादुलपुर सिदमुख में हुई पुलिस फायरिंग में घायल हुए पवन कुमार और अन्य घायलों को नौकरी और आर्थिक सहायता देने की मांग को लेकर सोमवार को पूर्व सांसद राम सिंह कस्वा, पूर्व विधायक मनोज न्यांगली के नेतृत्व में ग्रामीणों ने तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा.
सिदमुख गोलीकांड में घायल पवन को सरकारी नौकरी की मांग ग्रामीणों ने बताया कि 7 फरवरी 2009 को सिदमुख में हुई फायरिंग में पवन कुमार गंभीर रुप से घायल हो गया था. वहीं इलाज के लिए मेडिकल बिल जिला मुख्यालय में जमा करवा दिए गए है. अनेक बार प्रार्थना करने के बावजूद भी अभी तक बिलो का पूर्ण भुगतान नहीं किया गया है. उस घटना के बाद सरकार द्वारा भेजे गए प्रतिनिधियों ने दिव्यांग हुए लोगों को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की थी. ऐसे में इन सब सबूतों को लेकर हम मुख्यमंत्री और मंत्रियों से कई बार मिल चुके हैं, लेकिन आज तक इस मामले में हमारी सुनवाई नहीं हुई है.
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इस घटनाक्रम में किसी भी घायल को आजतक पूर्ण मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं किया गया है. घायल पवन कुमार 100 प्रतिशत दिव्यांग हो चुका है. पवन की आर्थिक स्थिति भी बहुत कमजोर है. ग्रामीणों ने जल्द से जल्द गोलीकांड में घायल पवन को सरकारी नौकरी और मेडिकल बिलों का भुगतान करने की मांग की है.
बता दें कि 6 फरवरी 2009 को हुए विरेन्द्र न्यांगली हत्याकांड कांड के बाद 7 फरवरी 2009 को सुबह जब पूरे राजस्थान में विरोध-प्रदर्शन हो रहा था. उस वक्त सिदमुख में भी गांव वालों के द्वारा विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा था. गांववासी जब ज्ञापन देने सिदमुख पुलिस थाने जा रहे थे. ऐसे में थाना पहुंचने से पहले ही पुलिस के द्वारा गांव वालो पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी गई थी. जिसमें 8 लोग घायल हो गए थे.
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उस समय के हालात को देखते हुए तत्कालीन राजस्थान सरकार ने घायलों का इलाज सरकारी खर्चे पर करवाने, दिव्यांग होने वालों और मृत के पुत्र को सरकारी नोकरी देने की घोषणा की थी. वहीं अबतक इस मामले में सरकार ने अपना कोई भी वादा पूरा नहीं किया है. 100 प्रतिशत दिव्यांग हो चुके पवन कुमार को आजतक सरकारी नोकरी नहीं दी गई है. बीते साढ़े 10 साल में पवन कुमार छोटे स्तर से लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय तक अनेको बार गुहार लगा चुके है. लेकिन कोई भी कारवाई नहीं हो पाई है.
पूर्व सांसद रामसिंह कस्वा कहना है कि 6 फरवरी 2009 को सिदमुख में पुलिस ने निर्दोष लोगों पर गोलियां चलाई. जिसमें एक की मौत हो गई और एक पवन कुमार बुरी तरह से घायल हो गया. उसके बाद गांव के लोगों ने धरना प्रदर्शन किया था. उसके बाद सरकार ने मृतक के परिवार को सरकारी नौकरी और घायलों को सरकार की ओर से नि:शुल्क इलाज वह नौकरी देने का वादा किया था. लेकिन पवन कुमार को आजतक नौकरी नहीं मिली है.
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पूर्व विधायक मनोज न्यांगली का कहना है कि सादुलपुर की इस अत्याचार की लड़ाई में पवन के परिवार के साथ पुलिस ने जिस तरीके से फायरिंग की थी, ऐसे में वह अस्थाई रूप से विकलांग हो गया है. 2009 की घटना पूरा सादुलपुर जानता है सरकार ने उस दौरान सभी को सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता देने का आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक उनको नौकरी नहीं मिल पाई है.