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किसान आंदोलन के समर्थन में चूरू में कांग्रेस की ऊंट रैली, ऊंट पर सवार होकर महापंचायत में पहुंची विधायक कृष्णा पूनिया

किसान आंदोलन के समर्थन और तीन कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस की ओर से चूरू में ऊंट रैली का आयोजन किया गया. इसके बाद यह रैली किसान महापंचायत के रूप में तब्दील हो गई. इस दौरान सादुलपुर विधायक कृष्णा पूनिया, कांग्रेसी नेता हाजी मकबूल मंडेलिया और नगर परिषद सभापति रैली में मौजूद रहे.

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किसान आंदोलन के समर्थन में चूरू में कांग्रेस की ऊंट रैली

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Published : Feb 14, 2021, 6:22 PM IST

चूरू. जिला मुख्यालय पर रविवार को दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन और तीन कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस की ओर से विशाल ऊंट रैली का आयोजन जिला मुख्यालय पर किया गया. इंद्रमणि पार्क से रवाना हुई यह ऊंट रैली जिला कलेक्ट्रेट के आगे पहुंचकर किसान महापंचायत के रूप में तब्दील हो गई. इसमें जिले के सभी किसान संगठनों ने भाग लिया और महापंचायत को सम्बोधित किया. इससे पहले इंद्रमणि पार्क में सुबह से ही गांव ढाणियों से ग्रामीणों का आने का सिलसिला चल रहा था. इस दौरान ग्रामीणों ने ऊंटों के हैरतअंगेज करतब देखें और तय समय से देरी के बाद रवाना हुई.

किसान आंदोलन के समर्थन में चूरू में कांग्रेस की ऊंट रैली

इस ऊंट रैली में सादुलपुर विधायक कृष्णा पूनिया, कांग्रेसी नेता हाजी मकबूल मंडेलिया, नगर परिषद सभापति पायल सैनी ऊंट पर सवार होकर किसान महापंचायत स्थल तक पहुंचे और महापंचायत को संबोधित किया. तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठन और कांग्रेसी नेताओं ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि तीनों काले कृषि कानूनों से आज पूरे देश को पीड़ा है. किसान और आम आदमी आज महंगाई से त्रस्त होकर सड़कों पर उतर रहा है. उन्होंने कहा कि पूरे भारत में किसान आंदोलन 2 माह से अधिक समय से चल रहा है.

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किसान अपनी मांगों के समर्थन में देश की राजधानी दिल्ली में महापड़ाव डाले हुए बैठा है. उन्होंने कहा कि किसान संगठनों की ओर से इन कानूनों की कभी मांग ही नहीं की गई है. संसद की प्रवर समिति के समक्ष इनको भिजवाया ही नहीं गया. लोकसभा और राज्यसभा में इन पर सांसदों से विचार-विमर्श नहीं किया गया. यह तीनों किसान विरोधी काले कानून मोदी सरकार ने अपने पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाए हैं. इन कानूनों से कृषि मंडियां समाप्त हो जाएगी और देश में आवश्यक वस्तुओं की कालाबाजारी बढ़ जाएगी और कृषि प्रधान देश में किसानों की स्वतंत्रता खत्म कर दी जाएगी.

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