चूरू. जिले के सालासर की श्री बालाजी गोशाला संस्थान जिसे हम प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की टॉप और मॉडल गोशालाओं में से एक कहें तो अतिश्योक्ति नहीं होगी. चूरू की इस गोशाला को खास बनाती है यहां रहने वाले गोवंशों को मिलने वाली सुख-सुविधाएं. यहां गायों के साफ और शुद्ध पानी पीने के लिए RO वॉटर प्लांट लगा है. इसके अलावा खाने के लिए ऑर्गेनिक हरी घास है. गोवंश को गर्मी से राहत देने के लिए फॉगिग सिस्टम की भी व्यवस्था की गई है.
गोवंश के लिए यहां मशीनों पर रोटियां सेंककर तैयार की जाती है. गोशाला में गोवंशों की संख्या अधिक होने पर होने पर अत्याधुनिक मशीन लगाई गई है जिसमे एक घंटे में करीब एक हजार रोटियां सेंककर तैयार हो जाती हैं तो वहीं गायों के लिए हरे चारे की यहां 24 घंटे व्यवस्था रहती है. खास इजराइली तकनीक से तैयार मशीन में यहां बिना मिट्टी के हरी घास तैयार होती है. ये वे तमाम सुविधाएं है जो यहां रहने वाले गोवंशों को मिलती हैं. इन्ही संसाधनों के चलते इस गोशाला का नाम देश और प्रदेश की मॉडल गोशालाओं में शुमार किया जाता है.
पढ़ें:Special: 'घर में बची हुई दवाइयां कचरे में नहीं फेंके...हमें दें'
1600 से अधिक हैं गोवंश
प्रदेश की इस मॉडल गोशाला में 1600 से अधिक गोवंश हैं जिनमें दिव्यांग और निराश्रित गोवंश भी शामिल हैं. संस्थान के अध्यक्ष रविशंकर पुजारी ने बताया की गोशाला में ऐसी कुछ ही गाय हैं जो दूध देती है. गोशाला में अधिकतर वह गोवंश हैं जो सालासर के आसपास के गांवों में खेतों में और सड़कों पर लावारिस घूम रहीं थी जिनमे किसी के एक पैर नहीं थे तो कोई दृष्टिबाधित हैं, उन तमाम गोवंश को हमने इस गोशाला में लाकर उनकी देखरेख शुरू की है.
गोबर, गोमूत्र से तैयार हो रहीं ये चीजें
प्रदेश की इस मॉडल गोशाला में गाय के गोबर से गो कास्ट, धूप बत्ती और धार्मिक आयोजनों में काम आने वाली हवन सामग्री तैयार की जाती है. संस्थान अध्यक्ष रवि शंकर पुजारी बताते हैं कि गाय के गोबर से तैयार गोकास्ट को दाह संस्कार में भी काम में लिया जाता है. गोबर से ये सामग्री तैयार करने का मुख्य उद्देश्य लकड़ियों की अवैध और अधिक कटाई को रोकना भी है. रविशंकर का कहना है कि जब गोकास्ट से दाह संस्कार हो सकता है तो लकड़ियों की आवश्यकता नहीं पड़ेगी तो यहां गायों के गो मूत्र से गोअर्क और घर में साफ-सफाई के लिए गोनाइल के रूप में तैयार किया जा रहा है.