चूरू. जम्मू कश्मीर के दादरवाल में शुक्रवार रात सर्च ऑपरेशन के दौरान शहीद हुए जिले के राणासर गांव के असलम खान 20 अगस्त को ही डयूटी पर गए थे. बता दें कि इससे पहले 14 दिन तक परिवार के लोगों के साथ छुट्टी बिताने के बाद ईद भी उन्हीं के साथ मनाई थी.
जानकारी के अनुसार डयूटी पर जाने से पहले परिवार के लोगों से असलम ने वादा किया था कि सितंबर में भतीजे की शादी में गांव आएंगे. वहीं उनकी पोस्टिंग हुए भी 2 साल सितंबर में हो जाएंगे और वे जम्मू-कश्मीर से वापस पटियाला आ जाएंगे. लेकिन इस बीच शुक्रवार को वह एक सर्च ऑपरेशन में शहीद हो गए.
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9 भाई-बहनों में असलम थे सबसे छोटे
शहीद असलम परिवार में अपने 9 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे. वे साल 1999 में ही सेना में भर्ती हो गए थे. 40 साल के असलम खान पिछले 2 साल से जम्मू कश्मीर में 24 राष्ट्रीय राइफल में तैनात थे. बता दें कि इनके पिता हासम खान का असलम के बचपन में ही देहांत हो गया था और उसके बाद में परवरिश कसलूम बनो ने की थी. इनकी पत्नी संजू गृहणी है, वहीं 3 बेटियां व एक बेटा है.
भतीजा भी है सेना में
शहीद असलम के भतीजे इमरान भी सेना में है. वे हाल ही में सेना में भर्ती हुए हैं. वहीं परिवार के ही सिकंदर खान सेना से रिटायर हैं. परिवार के सदस्य सिकंदर खान का कहना है कि जम्मू कश्मीर में एक सर्च ऑपरेशन के दौरान असलम खान के शहादत होने की सूचना मिली. उनकी पार्थिव देह शाम को 5 बजे कलेक्ट्रेट आएगी. उसके बाद में उसे गांव राणासर लाया जाएगा, जहां से ससम्मान के साथ उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.