चूरू. नियमितीकरण और न्यूनतम मजदूरी सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जिला कलेक्ट्रेट के आगे पिछले 24 दिनों से धरने पर बैठी आशा सहयोगिनियों के सब्र का बांध अब टूटता जा रहा है. कार्य बहिष्कार कर धरने पर बैठी आशाओं ने अब प्रदेश की गहलोत सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही उनकी समस्त मांगों को सरकार नही मानती है, तो उनके द्वारा प्रदेश भर में उग्र प्रदर्शन किया जाएगा. साथ ही सड़के जाम कर वह प्रदेश सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल पर बैठेंगी.
राजस्थान आशा सहयोगिनी यूनियन के बैनर तले धरने पर बैठी आशाओं ने कहा कि 2004 से वह कार्यरत है. सरकार द्वारा उन्हें मानदेय श्रेणी में रखा गया है. इतने समय बाद भी उन्हें नाही तो स्थाई किया गया और ना ही उन्हें संविदा श्रेणी में रखा गया. धरने पर बैठी आशाओं की मांग है कि एक विभाग में उन्हें नियुक्त किया जाए, केंद्र सूची में आशा का नाम जोड़ा जाए, आशाओं को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए.