चूरू. जिले में टॉयर की पंक्चर बनाने वाला बना रक्त वीरों का सेनापति बन गया. शहर में शायद ही किसी की खून की कमी की वजह से जान जाती है. हर किसी को अमजद खून उपलब्ध कराता है. चाहे किसी भी धर्म या समुदाय का कोई हो. गरीब हो या अमीर एक मैसेज एक कॉल पर मौके पर पहुंचती है अमदज की सेना.
60 दिनों में बना डाली 7 हजार ब्लड डोनरों की चेन यह कहानी चूरू के उस शक्स की है जिसने अपने अनूठे प्रयास से अबतक सैकड़ों लोगों की जान बचाई है. दसवीं पास शहर के अमजद तुगलक रक्तदान की एक मिसाल पेश कर रहे हैं. इस शख्स ने ब्लड डोनेट करते हुए 60 दिनों में सात हजार रक्त वीरों की ऐसी सेना बना डाली जो देश में ही नहीं बल्कि खाड़ी देशों में भी जरूरतमंदों को रक्त डोनेट कर रहे हैं.
सोशल मीडिया के माध्याम से काम करती है टीम:
यह टीम सोशल मीडिया के माध्याम से सूचना आदान-प्रदान कर सैकड़ों जान बचाई जा चुकी है. सिर्फ एक व्हाट्सएप मैसेज से खाड़ी देशों तक जरूरतमंद को रक्त डोनेट किया जा रहा है. फेसबुक व्हाट्सएप और मोबाइल पर रक्त की डिमांड आते ही ये रक्त वीर रक्तदान के लिए मौके पर पहुंच जाते हैं.
अनजान को ब्लड देने से हुई शुरूआत:
A-पॉजिटिव ग्रुप के अमजद ने इसकी शुरुआत एक अनजान व्यक्ति को अपना एक यूनिट ब्लड देकर की. जब उस मरीज को दो यूनिट ब्लड की आवश्यकता हुई तो अमजद ने फेसबुक पर ए-पॉजिटिव ग्रुप की आवश्यकता की एक पोस्ट डाली जिसके तुरंत बाद कुछ ही देर में 257 लोगों ने रक्त दान करने की पेशकश कर डाली. पॉजिटि और अच्छा रिस्पांस देख अमजद ने निशुल्क रक्तदान के लिए चूरु हेल्पलाइन के नाम से एक व्हाट्सएप ग्रुप बना डाला. उस व्हाट्सएप ग्रुप में 250 मेंबर होने पर एक और ग्रुप बनाया गया फिर अमजद ने चूरु हेल्पलाइन नाम से फेसबुक पेज भी बनाया, जिसमें महज 60 दिनों में सात हजार युवा जुड़ गए.
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जुनून काबिले तारीफ है:
अब यह युवा रक्तदान के लिए हर पल एक फोन कॉल या एक व्हाट्सएप मैसेज देख कर जरूरतमंद को रक्त देने के लिए दौड़ पड़ते हैं. शहर के इन रक्त वीरों का जुनून काबिले तारीफ है चूरू के अलावा बीकानेर, सीकर, जयपुर के अस्पताल में भी रक्त की जरूरत का संदेश मिलता है, तो उस शहर में ग्रुप से जुड़ा वह सदस्य खुद के ही खर्च से मौके पर पहुंचता है और रक्तदान करता है.