चूरू (सरदारशहर). यह डर है या परंपरा या कोई आस्था. इस गांव की यह दास्तान जो भी सुनता है, दंग रह जाता है. जहां एक ओर हमारे देश में बड़ी-बड़ी इमारते बनाने की होड़ लगी रहती है. वहीं, दूसरी ओर चूरू जिला मुख्यालय से 51 किलोमीटर दूर सरदारशहर तहसील के गांव उड़सर में लोग दो मंजिल का मकान बनाने से डरते है. ऐसी बात नहीं है की यहां कोई भूंकप आता है लेकिन इनके खौफ की वजह कुछ और ही है. ईटीवी भारत ने जब पड़ताल की तो गांव की रहस्यमई सच्चाई सामने आई. जिसे जानकर हर कोई दंग रह जाएगा.
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उड़ सारण नाम के व्यक्ति ने बसाया गांव
गांव क लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक सन् 1309 में इस गांव को उड़ सारण नाम के व्यक्ति ने इस गांव को अपने नाम पर बसाया था. गांव में वर्तमान में तकरीबन 500 के आस पास घर है. गांव में सदैव ही सौहार्द पूर्ण माहौल बना रहता है. उड़सर गांव से अलग होकर अब तक 12 गांव बन चुके हैं. उड़सर गांव सरदारशहर तहसील से महज 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. ईटीवी भारत ने जब इस पूरे मामले में पड़ताल की तो एक ही बात सामने आई कि यह पूरा गांव दूसरी मंजिल से भयभीत है. इस गांव के लोग अब दूसरी मंजिल पर मकान बनाने की सोचते तक नहीं है.
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क्या है दो मंजिला घर नहीं बनाने की कहानी, जानिए
गांव के कुछ जानकर लोगों ने बताया की पिछले 700 सालों से इस गांव में कोई दो मंजिल का मकान नहीं बना है, जिसे यहां की स्थानीय भाषा में मालिया बोलते है. गांव के लोग इसके पीछे कई किवदंतियां सुनाते हैं, गांववालों का मानना हैं की 700 साल पहले भोमिया नाम का व्यक्ति था, जो परम गौभक्त था, पास ही के गांव आसपालसर उनका ससुराल था. भोमिया जी की गायों में गहरी आस्था थी. एक समय गांव में कुछ लुटेरे आए और वह गायों को चुराकर ले जाने लगे. इस पर भोमिया जी की उन लुटेरों से भीषण युद्ध हुआ. भीषण युद्ध में भोमिया जी बुरी तरह घायल हो गए और घायल अवस्था में ससुराल में बने मालिये में छुप गये. भोमिया जी ने ससुराल वालों को बोल दिया की कोई आये तो बताना मत, लेकिन लुटेरे आये और ससुराल वालों से जब मारपीट की तो ससुराल वालों ने बता दिया की भोमिया मालिये में छुपा हुआ है और उन लोगों ने भोमिया का सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन भोमिया सिर हाथ में लिए हुए उनसे लड़ता रहा, और और लड़ते-लड़ते अपने गांव की सीमा के समीप आ जाता है. इस दौरान भोमिया जी का लड़का भी युद्ध में लड़ते हुए शहीद हो जाता है. अंत में भोमिया का धड़ उड़सर गांव में आकर गिर जाता है. जहां भोमिया का धड़ गिरता है वहां आज भी भोमिया का मंदिर बना हुआ है.