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स्पेशल रिपोर्ट: राजस्थान का 'शापित' गांव, यहां दो मंजिला मकान बनाने में डरते हैं लोग

राजस्थान में एक ऐसा गांव है जो शापित माना जाता है. 700 साल पहले हुई एक घटना के बाद से आज तक इस गांव में किसी भी घर में दूसरी मंजिल नहीं है. क्या है आखिर इसके पीछे की वजह जानिए, चूरू से स्पेशल रिपोर्ट में..

Udsar Village, 2 storey house, Churu Weird village
राजस्थान का शापित गांव

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Published : Feb 18, 2020, 11:58 AM IST

Updated : Feb 18, 2020, 12:41 PM IST

चूरू (सरदारशहर). यह डर है या परंपरा या कोई आस्था. इस गांव की यह दास्तान जो भी सुनता है, दंग रह जाता है. जहां एक ओर हमारे देश में बड़ी-बड़ी इमारते बनाने की होड़ लगी रहती है. वहीं, दूसरी ओर चूरू जिला मुख्यालय से 51 किलोमीटर दूर सरदारशहर तहसील के गांव उड़सर में लोग दो मंजिल का मकान बनाने से डरते है. ऐसी बात नहीं है की यहां कोई भूंकप आता है लेकिन इनके खौफ की वजह कुछ और ही है. ईटीवी भारत ने जब पड़ताल की तो गांव की रहस्यमई सच्चाई सामने आई. जिसे जानकर हर कोई दंग रह जाएगा.

राजस्थान का 'शापित' गांव, यहां दो मंजिला मकान बनाने में डरते हैं लोग

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उड़ सारण नाम के व्यक्ति ने बसाया गांव

गांव क लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक सन् 1309 में इस गांव को उड़ सारण नाम के व्यक्ति ने इस गांव को अपने नाम पर बसाया था. गांव में वर्तमान में तकरीबन 500 के आस पास घर है. गांव में सदैव ही सौहार्द पूर्ण माहौल बना रहता है. उड़सर गांव से अलग होकर अब तक 12 गांव बन चुके हैं. उड़सर गांव सरदारशहर तहसील से महज 6 किलोमीटर दूरी पर स्थित है. ईटीवी भारत ने जब इस पूरे मामले में पड़ताल की तो एक ही बात सामने आई कि यह पूरा गांव दूसरी मंजिल से भयभीत है. इस गांव के लोग अब दूसरी मंजिल पर मकान बनाने की सोचते तक नहीं है.

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क्या है दो मंजिला घर नहीं बनाने की कहानी, जानिए

गांव के कुछ जानकर लोगों ने बताया की पिछले 700 सालों से इस गांव में कोई दो मंजिल का मकान नहीं बना है, जिसे यहां की स्थानीय भाषा में मालिया बोलते है. गांव के लोग इसके पीछे कई किवदंतियां सुनाते हैं, गांववालों का मानना हैं की 700 साल पहले भोमिया नाम का व्यक्ति था, जो परम गौभक्त था, पास ही के गांव आसपालसर उनका ससुराल था. भोमिया जी की गायों में गहरी आस्था थी. एक समय गांव में कुछ लुटेरे आए और वह गायों को चुराकर ले जाने लगे. इस पर भोमिया जी की उन लुटेरों से भीषण युद्ध हुआ. भीषण युद्ध में भोमिया जी बुरी तरह घायल हो गए और घायल अवस्था में ससुराल में बने मालिये में छुप गये. भोमिया जी ने ससुराल वालों को बोल दिया की कोई आये तो बताना मत, लेकिन लुटेरे आये और ससुराल वालों से जब मारपीट की तो ससुराल वालों ने बता दिया की भोमिया मालिये में छुपा हुआ है और उन लोगों ने भोमिया का सिर धड़ से अलग कर दिया. लेकिन भोमिया सिर हाथ में लिए हुए उनसे लड़ता रहा, और और लड़ते-लड़ते अपने गांव की सीमा के समीप आ जाता है. इस दौरान भोमिया जी का लड़का भी युद्ध में लड़ते हुए शहीद हो जाता है. अंत में भोमिया का धड़ उड़सर गांव में आकर गिर जाता है. जहां भोमिया का धड़ गिरता है वहां आज भी भोमिया का मंदिर बना हुआ है.

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गांव के लोगों को भोमिया जी की पत्नी का श्राप

इसी दौरान भोमिया की पत्नी गांव वालों को श्राप देती है की आज से घर पर कोई मालिया नहीं बनाएगा, और भोमिया की पत्नी सती हो जाती है. गांव के लोगों का मानना की ये श्राप इसलिए दिया गया की आगे से अगर मालिया नहीं होगा तो किसी पर वो नौबत दोबारा नहीं आएगी, जो भोमिया पर आई थी, अब अगर किसी को कही छुपाएंगे तो अपनों के बीच ही छुपाएंगे. गांव के लोगों ने बताया की उस दिन के बाद जिस किसी ने मालिया बनाया उस घर की औरत की मौत हो गयी और या किसी का पूरा परिवार ही खत्म हो गया. इसी डर से लोग आज भी अपने घरों पर दूसरी मंजिल मतलब मालिया नहीं बनाते.

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गांव में शिक्षा का स्तर अच्छा

इस गांव में शिक्षा का स्तर भी अच्छा है. शिक्षित होने के बावजूद गांव के लोग इस परंपरा को मानते हैं, उन लोगों का कहना है की वो लोग इसे अंधविश्वास नहीं मानते है, ये वर्षों से चली आ रही परम्परा है, जिसे वो लोग तोड़ना नहीं चाहते.

गांव में सती माता का मंदिर

आज भी गांव में भोमिया जी और माता सती का मंदिर

भोमिया जी का मंदिर आज भी गांव में है और गांव के लोग इस मंदिर में गहरी आस्था रखते हैं और हर दिन इस मंदिर की पूजा की जाती है. इसी प्रकार गांव से 2 किलोमीटर दूर रेतीली धोरों के बीच माता सती का मंदिर है. माता सती भोमिया जी और अपने बेटे की मौत के बाद सती हो गई थी. माता सती के मंदिर में बांस की झाड़ू चढ़ाई जाती है. इस मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं मंदिर में आए हुए हर श्रद्धालु की मनोकामना पूरी होती है.

Last Updated : Feb 18, 2020, 12:41 PM IST

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