चूरू. प्रदेश में 26 साल बाद एक बार फिर से बड़े स्तर पर रेगिस्तानी टिड्डी (डेजर्ट लोकस) ने हमला किया है. टिड्डी के हमले को लेकर जिला मुख्यालय स्थित केंद्रीय टीडी कार्यालय की टीम को अलर्ट कर दिया गया है और इनकी रोकथाम के लिए विभाग की और से तैयारियां भी पूरी कर ली गई है. विभाग में टिड्डी पर लगाम लगाने वाली मशीनों को तैयार कर लिया गया हैं. पास ही में स्थित केंद्रों पर दवा का भी प्रबंध करवा दिया गया है. क्षेत्रों में किसानों से संपर्क शुरू कर दिया गया है. टिड्डी कार्यालय के अधिकारियों ने जिले में राजस्व और कृषि अधिकारियों को भी इस बारे में अवगत करा दिया है.
26 साल बाद एक बार फिर से बड़े स्तर पर रेगिस्तानी टिड्डी ने किया हमला
प्रदेश में 26 साल बाद एक बार फिर से बड़े स्तर पर रेगिस्तानी टिड्डी (डेजर्ट लोकस) ने हमला किया है. पाकिस्तान के रास्ते जैसलमेर क्षेत्र में बड़ी तादाद में टिड्डी का दल पहुंच चुका है. अभी और टिड्डी आने की संभावना जताई जा रही है.
दरअसल चूरू में कभी भी टिड्डी का अटैक हो सकता है. जानकार बताते हैं कि चूरू पश्चिमी राजस्थान क्षेत्र में आता है और टिड्डी पश्चिमी राजस्थान में प्रवेश कर चुकी है. हवा की रफ्तार बढ़ते ही टिड्डी बीकानेर और चूरू में भी पहुंच जाएगी क्योंकि यह हवा के अनुकूल तेजी से आगे बढ़ती है. सन 1993 में चूरू में आई थी टिड्डी. टिड्डी करीब अक्टूबर माह तक जिंदा रह पाती है. इसी अवधि में पैदा होने वाली फसलों को काफी हानि पहुंचाती है। किसी पौधे व फसल पर एक साथ झुंड में बैठती है।जिसके बाद उस फसल व उस पौधे को टिड्डी नष्ट कर देती है. जिला मुख्यालय स्थित केंद्रीय टिड्डी नियंत्रण कार्यालय में टिड्डी से निपटने के लिए एक माइक्रो निपर, एक अल्वा मास्ट, और 1 माइक्रो अल्वा मशीन उपलब्ध है. इसमें सबसे खतरनाक मशीन जो है. वह माइक्रो निपर है.
यह मशीन जनरेटर से चलती है और 50 फीट ऊपर पेड़ों पर बैठी टिड्डी को मार गिराने में सक्षम है इसके अलावा सतह पर करीब 300 फीट दूर तक टिड्डी को मार गिराती है. यह मशीन। इस मशीन को बोलेरो कैम्पर गाड़ी में रखकर उपयोग में लिया जाता है. वही अलवा मास्ट भी सतह पर 30 फिट तक की दूरी पर बैठी टिड्डी को मार गिराने में सक्षम है. इसी प्रकार माइक्रो अल्वा को छोटी झाड़ियों व छोटे पौधों पर बैठी टिड्डियों को मारने के काम मे लिया जाता है. टीम के पहुंचने के 1 घंटे में टिड्डी को नष्ट करने का दावा किया जा रहा है. इसका कैमिकल हवा में घुल कर आगे बढ़ता है और इसकी चपेट में आने के बाद टिड्डी तुरंत धराशाई हो जाती है इनको मारने के लिए मेलाथियान नामक केमिकल को उपयोग में लिया जाता है. जिसमे 96 % तक पॉइजन होता है