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चित्तौड़गढ़: सखी परियोजना से जुड़ी महिलाओं ने बनाई हर्बल गुलाल, बेफिक्र मनाएं होली

चित्तौड़गढ़ हिन्दुस्तान जिंक और मंजरी फाउंडेशन के सहयोग से महिलाएं स्कीन फ्रेंडली गुलाल से होली मनाने को लेकर बाजारों-घरों में तैयारियां शुरू हो गई है. इसी बीच जिले के गुर्जर खेड़ा गांव की सखी उत्पादन समूह की महिलाओं के बनाए हुए निर्मित हर्बल गुलाल बाजार में उपलब्ध हैं. ऐसे में लोग बेफिक्र होकर होली का त्यौहार मना सकते हैं.

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महिलाओं ने बनाई हर्बल गुलाल

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Published : Mar 24, 2021, 5:18 PM IST

चित्तौड़गढ़. शहर में हिन्दुस्तान जिंक और मंजरी फाउंडेशन के सहयोग से महिलाएं स्कीन फ्रेंडली गुलाल से रंगों के उत्सव होली मनाने को लेकर शहर के बाजारों-घरों में तैयारियां शुरू हो गई हैं. इसी बीच चित्तौडगढ़ के गुर्जर खेड़ा गांव की सखी उत्पादन समूह की महिलाओं की ओर से निर्मित हर्बल गुलाल बाजार में उपलब्ध हैं. ऐसे में जिले के लोग बेफिक्र होकर होली का त्यौहार मना सकते हैं. खास बात यह है कि इस समूह में सभी ग्रामीण महिलाएं हैं जो पूरी तरह से प्राकृतिक गुलाल तैयार करती हैं.

लगभग एक हजार की आबादी वाले इस गांव में इस बार इन महिलाओं की ओर से बनाई जा रही गुलाल की खुश्बु और रंग पूरे गांव में उत्साह और उमंग ला रहे हैं. बता दें कि इस समूह की महिलाएं पिछले कई वर्षों से समूह से जुड़ी हुई हैं. जहां इनके की ओर से पहली बार बनाई गई हर्बल गुलाल सिर्फ चित्तौडगढ़ ही नहीं प्रदेश के अन्य 4 जिलों उदयपुर, भीलवाड़ा, राजसमंद और अजमेर सहित अन्य जगहों पर भी भेजी जा रही हैं. ये महिलाएं होली के लिए स्कीन फ्रेंडली गुलाल तैयार कर रोजगार पाने के साथ ही इको फ्रेंडली गुलाल को बढ़ावा देकर आम लोगों को रंगोंत्सव के लिए बेहतरीन गुलाल उपलब्ध करा रही हैं. वहीं, समूह से जुड़ी सखी महिला मोसिना बताती हैं कि यहां हरा, गुलाबी, लाल और पीला चार रंगों में गुलाल बना रहे हैं.

गुलाल को मक्के से बना अरारोट में प्राकृतिक रंग और इत्र मिलावकर तैयार किया जाता है. जिसे बनाने का प्रशिक्षण हिन्दुस्तान जिंक के सहयोग से मंजरी फाउण्डेशन की ओर से संचालित सखी परियोजना के अंतर्गत दिया गया है. हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अरूण मिश्रा ने बताया कि मुझे खुशी है कि सखी परियोजना से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं लघु उद्यमी और एंटरप्रेन्योरशिप की ओर बढ़ रही हैं.

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महिलाएं सशक्त ग्रामीण भारत के निर्माण की आधार हैं. इनके आत्मनिर्भर बनने से समाज में आर्थिक मजबूती को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही हम ग्रामीण महिलाओं को नई संभावनाएं तलाशने के अवसर दे रहे हैं. ताकि उन्हें स्वरोजगार के नए आयाम मिल सकें. इधर, जानकारी में सामने आया कि महिलाएं गुलाल बनाने के बाद 100, 200 और 500 ग्राम के पैकेट में पैकिंग भी खुद करती हैं, जो कि सखी उत्पादन समिति निर्मित उपाया हर्बल गुलाल के ब्रांड से उपलब्ध हैं. महिलाएं बताती हैं कि इस गुलाल की खासियत यह है कि यह पुरी तरह स्कीन फ्रेंडली है और इसके उपयोग से त्वचा पर किसी तर की कोई जलन भी नहीं होती. इसे पानी से तुरंत साफ किया जा सकता है.

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हर्बल गुलाल बनाने वाली नारायणी बाईं बताती हैं कि पहली बार वह हर्बल गुलाल बना रही हैं. जिसे अब वे हर साल बनाएगीं. महिला समूह में लीला, निरमा, मांगी बाई, शारदा, अनू, कमली,पानी और कृष्णा हैं. गुलाल बनाकर अब तक इन महिलाओं को 7 हजार रुपए की आमदनी हुई है. इससे जुड़ी कमलीबाई का कहना है ‘हमने सोचा ही नहीं था कि हम होली के त्यौहार के लिए जो रंग बाजार से लाते थे. आज खुद बनाने का हूनर रखते हैं और परिवार की आमदनी को बढ़ा सकते हैं. अब हमारे गांव की महिलाएं भी सखी परियोजना के तहत संचालित मसाला सेंटर और सिलाई सेंटर से जुड़कर अतिरिक्त आय बढ़ाकर अपनी परिवारिक स्थिति को मजबूत रखने की सोच रखती हैं.

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