चित्तौड़गढ़. शहर के प्रमुख जल स्त्रोत धीरे धीरे सूखते जा रहे हैं. भविष्य में हालात विकट होने की आशंका भांपते हुए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग अब एक दिन छोड़कर एक दिन जलापूर्ति की तैयारी में है. 4 मार्च से ही नई जलापूर्ति लागू की जा रही है. इसके जरिए विभाग हर आपूर्ति पर 25 प्रतिशत पानी बचाने की फिराक में है. विभाग का मानना है कि इस बचत से भी जुलाई तक आपूर्ति को बनाए रखने में मदद मिलेगी. विभाग का दावा है कि इस प्रकार के छोटे-मोटे कदम उठाकर शहर के लोगों को मानसून आने तक आपूर्ति की जा सकेगी.
चित्तौड़गढ़ शहर की आबादी करीब डेढ़ लाख मानी गई है और यहां 18000 नल कनेक्शन हैं. शहर की प्रतिदिन की मांग 2 करोड़ पानी की होती है, जिसमें से वर्तमान में मुख्य जल स्त्रोत घोसुंडा बांध से आवक डेढ़ सौ लाख से घटकर 90 लाख लीटर तक पहुंच गई है. वहीं खदान से भैरडा खदान से भरपाई के तौर पर प्रतिदिन 70,00,000 लीटर पानी उठाया जा रहा है, जबकि 10,00,000 लीटर पानी वागले एनीकट से जुटाए जा रहा है. वहीं स्थानीय नलकूपों से भी 30 लाख लीटर पानी लिया जा रहा है. हालांकि हर दिन 2 करोड़ लीटर पानी जुटा रहा है, लेकिन जिस प्रकार से घर में बढ़ती जा रही है. उससे ज्यादा समय तक इसे मेनटेन करना मुश्किल होगा.