चित्तौड़गढ़.जिले में उदयपुर रेलमार्ग पर बने करीब 1 दर्जन अंडरपास ग्रामीणों की समस्या का सबब बने हुए हैं. करीब 7 महीने से अंडरपास में पानी भरा हुआ है. ऐसे में लोगों को इनमें निकलने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. अंडरपास में भरे पानी की वजह से लोगों को सीधे पटरी पार कर निकलना पड़ रहा है, तो 4 पहिया वाहन तो निकालना दुश्वार साबित हो रहा है. रेलवे मुख्यालय तक इसकी शिकायत भेजी जा चुकी है, लेकिन इस समस्या का समाधान नहीं हुआ है.
7 माह से रेलवे अंडरपास में भरा पा पढ़ें- चित्तौड़गढ़: सड़क हादसे में तीन युवकों की मौत, शव महाराष्ट्र के लिए रवाना
जानकारी के अनुसार रेलवे की ओर से पटरी के ऊपर से होकर गुजरने वाले वाहनों की रोकथाम एवं फाटकों को बंद करने के उद्देश्य से चित्तौड़गढ़ जिले में उदयपुर रेलमार्ग पर करीब 1 दर्जन से अधिक अंडरपास बनाए गए थे. उस समय तो लगा इन अंडरपास के चलते लोगों की समस्याओं का समाधान होगा और आवाजाही में आसानी बनी रहेगी, लेकिन शायद ऐसा नहीं हो पाया. इसका कारण यह है कि बरसात होने के साथ ही इन सभी अंडरपास में पानी भरने लग जाता है. ऐसे में लोगों की आवाजाही रुक जाती है. यहां अंडरपास करीब सात वर्ष पूर्व बने थे. पूर्व के वर्षों में तो यह समस्या बरसात के बाद 2 महीने तक ही रहती है, लेकिन इस वर्ष औसत से अधिक बरसात के कारण भूमिगत रिचार्ज अधिक हुआ है. ऐसे में अभी तक इन अंडरपास में पानी भरा हुआ है.
पढ़ें- चित्तौड़गढ़: रोलिया ग्राम पंचायत सरपंच में संभाला पदभार, सरस्वती माता की प्रतिमा भी की स्थापित
क्षेत्र के लोगों ने इसकी शिकायत रेलवे के अधिकारियों की थी, लेकिन इस समस्या का कोई स्थाई समाधान नहीं निकाला. अस्थाई समाधान के तौर पर यह व्यवस्था कर दी गई कि इन अंडरपास से पानी खाली करने को लेकर रेलवे की ओर से ठेका दे दिया, लेकिन वह भी निगरानी के अभाव में नहीं आ रहा है. ऐसे में चित्तौड़गढ़ उदयपुर रेलमार्ग के बीच एक दर्जन अंडरपास बंद पड़े हुए हैं. यहां घुटनों से अधिक पानी भरा हुआ है और लोगों को निकलने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इस मार्ग पर एक दर्जन अंडरपास पर 100 से अधिक गांवों के हजारों लोग इस समस्या के चलते अस्थाई तौर पर लोग पटरी के ऊपर से ही निकल रहे हैं. कई बार अचानक ट्रेन आने के कारण हादसे की संभावना भी बन जाती है.
पढ़ें- बूंदी: अज्ञात वन्यजीव ने बनाया 45 भेड़ों को शिकार, मौके पर हुई मौत
इस अंडरपास के माध्यम से करीब दो दर्जन गांवों की कनेक्टिविटी है, जो अपना छोटे-मोटे व्यवसाय सहित कार्यों को लेकर इधर-उधर जाते हैं, लेकिन अंडरपास में पानी होना भरा होने के कारण उनका निकलना दुश्वार हो जाता है. ऐसे में वह सीधे रेल लाइन पार करते हैं. इस बारे में घोसुण्डा रेलवे स्टेशन के स्टेशन मास्टर से बात की, लेकिन उन्होंने मीडिया में किसी प्रकार से बात करने से इनकार कर दिया. उन्होंने इतना जरूर बताया कि ग्रामीणों की शिकायत पर कई बार ठेकेदार को फोन कर बुलाते हैं.