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चित्तौड़गढ़: कलेक्टर, एसपी और तहसीलदार की कुर्सी, कार व आवास कुर्क करने के लिए वारंट जारी

चित्तौड़गढ़ में नगर परिषद के सामने एक भूखंड के मामले में न्यायालय की ओर से निर्णय दिए जाने के बाद निर्णय की पालना नहीं हो रही है. जिसके मामले में अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश और न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और तहसीलदार के कार, आवास और कुर्सी को कुर्की करने के वारंट जारी करने के आदेश दिए हैं.

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DM, SP और तहसीलदार की कुर्सी, कार व आवास कुर्क करने के लिए वारंट

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Published : Feb 23, 2021, 7:38 PM IST

चित्तौड़गढ़. शहर के नगर परिषद के सामने एक बेशकीमती भूखंड के मामले में न्यायालय की ओर से निर्णय दिए जाने के बाद निर्णय की पालना नहीं हुई. उसके बाद मामले में अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित कुमार दवे की ओर से जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक व तहसीलदार के कार, आवास और कुर्सी को कुर्की करने के वारंट जारी करने के आदेश दिए.

DM, SP और तहसीलदार की कुर्सी, कार व आवास कुर्क करने के लिए वारंट

प्रकरण के अनुसार सन 1994 में चित्तौड़गढ़ के तत्कालीन जिला कलेक्टर डॉ. आरएस गठाला द्वारा अपने कार्यकाल में यहां नगर परिषद के सामने स्थित बेशकीमती भूमि को विवादास्पद बताते हुए कब्जा कर यह जमीन पुलिस विभाग को सौंप दी थी. इस प्रकरण को भूखंड मालिक की ओर से न्यायालय में चुनौती दी गई. इस पर न्यायालय ने 2004 में आशादेवी को कब्जा देना का आदेश दिया था. लेकिन इन्होंने जमीन वादी को नहीं दी थी.

न्यायालय की ओर से भूखंड मालिक के पक्ष में फैसला दिए जाने पर जिला कलेक्टर पुलिस अधीक्षक की ओर से इस निर्णय के खिलाफ न्यायालय में अपील की गई, लेकिन 2018 में या अपील खारिज होने के बाद भूखंड मालिक को इसका कब्जा नहीं मिल सका. वहीं, वादी आशादेवी ने अपने अधिवक्ता सावन श्रीमाली के मार्फत कोर्ट में पालना का आवेदन किया था.

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न्यायालय ने कलेक्टर, एसपी आदि को न्यायालय में पेश होने के कई मौके दिए थे, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए थे. ऐसे में मंगलवार को कोर्ट ने तीनों के खिलाफ कुर्की वारंट जारी करने का आदेश दिया है. न्यायालय में वादी आशादेवी के वकील सावन श्रीमाली ने कार, कुर्सी और आवास की सूची दी थी. इस पर न्यायाधीश ने कलक्टर, एसपी तहसीलदार की कुर्सी, कार व आवास कुर्क करने के लिए वारंट जारी करने का आदेश दिया है. वहीं न्यायालय में कलक्टर व एसपी की और से प्रार्थना पत्र 47 पेश किया था. इसे भी न्यायालय ने कलेक्टर के प्रार्थना पत्र को 5 हजार रुपए की व एसपी के नाम हटाने वाले प्रार्थना पत्र को 1 रुपए की कोस्ट पर खारिज करने का आदेश दिया है.

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