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SPECIAL : सांवलियाजी का दरबार 9 महीने रहा बंद...धर्मशाला, गेस्ट हाउस से होने वाली सवा करोड़ की आय प्रभावित

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Published : Jan 8, 2021, 5:52 PM IST

चित्तौड़गढ़ में स्थित प्रख्यात कृष्णधाम श्रीसांवलियाजी मंदिर की आय कोरोना काल में काफी प्रभावित हुई. मंदिर में आने वाले चढ़ावे के अलावा मंदिर की धर्मशालाओं, गेस्ट हाउस और दुकानों से करीब डेढ़ करोड़ की आय होती थी. कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर की आय के अन्य स्रोत गति नहीं पकड़ पाए हैं. ऐसे में प्रति माह लाखों रुपए की आय प्रभावित हो रही है.

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सांवलिया सेठ को करोड़ों का घाटा

चित्तौड़गढ़. जिले में प्रख्यात कृष्णधाम श्री सांवलियाजी मंदिर की आय में कोरोना काल के चलते काफी आय प्रभावित हुई है. मंदिर में आने वाले चढ़ावे के अलावा मंदिर की धर्मशालाओं, गेस्ट हाउस और दुकानों से करीब डेढ़ करोड़ की आय होती है. लेकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर की अन्य आय के स्रोत गति नहीं पकड़ पाए हैं.

सांवलिया सेठ को करोड़ों का घाटा

ऐसे में सांवलियाजी मंदिर में प्रति माह लाखों रुपए की आय प्रभावित हो गई है. मंदिर प्रशासन को आस है कि जल्दी कोरोना पर पूरी तरह से नियंत्रण होगा और श्रद्धालु सामान्य दिनों की तरह मंदिर की धर्मशालाओं और गेस्ट हाऊस में ठहराव करेंगे. जिससे कि मंदिर की आय पुनः बढ़ेगी. जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमण के कारण श्री सांवलियाजी मंदिर भी बुरी तरह प्रभावित रहा है. जनता कर्फ्यू के साथ ही 22 मार्च से ही श्री सांवलियाजी मंदिर श्रद्धालुओं के लिए बन्द हो गया था. करीब चार माह से ज्यादा समय तक मंदिर श्रद्धालुओं के लिए पूरी तरह बन्द रहा था.

प्रतिमाह औसत 3 करोड़ चढ़ावा आता है भंडार से

श्री सांवलियाजी मंदिर में प्रत्येक माह औसत 3 करोड रुपए तो भंडार से ही चढ़ावा आता है. जो पूरी तरह से बंद हो गया था. जानकारी में सामने आया है कि श्री सांवलियाजी मंदिर के करीब एक दर्जन धर्मशालाएं व गेस्ट हाउस के अलावा दुकानें भी हैं. जिनसे सालाना औसत आय डेढ़ करोड़ रुपए है. धर्मशाला में गेस्ट हाउस भी 22 मार्च के साथ ही बंद हो गए। ऐसे में धर्मशाला एवं गेस्ट हाउस से होने वाली आय भी प्रभावित हुई. राज्य सरकार के आदेश थे कि प्रदेश के बड़े मंदिरों को नहीं खोला जाए तथा इनकी धर्मशालाएं में गेस्ट हाउस भी बंद रखे जाएं.

मंदिर खुला लेकिन धर्मशालाएं अब भी बंद...

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मंदिर खुला, बंद रहीं धर्मशालाएं

ज्य सरकार के आदेशों की पालना में करीब 4-5 माह मंदिर खुला ना ही धर्मशालाएं खोली गई थी. राज्य सरकार के आदेश के बाद में मंदिर में दर्शन तो शुरू हो गए लेकिन धर्मशालाएं वह गेस्ट हाउस को भी बंद रखने के आदेश थे. ऐसे में करीब 8 माह तक धर्मशालाएं व गेस्ट हाउस बन्द रहे. गत माह 15 नवंबर से से पुनः गेस्ट हाउस व धर्मशाला खोला गया था. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते लोग डरे हुए हैं. श्रद्धालु मंदिर दर्शन करने आ रहे हैं लेकिन होटल, धर्मशाला व गेस्ट हाउस में रुकने वालों की संख्या में भारी कमी है. श्रद्धालुओं का ठहराव नहीं हो पा रहा है. जो भी श्रद्धालु आते हैं वह दर्शन करके चले जाते हैं. ऐसे में आगामी दिनों में भी मंदिर की धर्मशाला, गेस्ट हाउस में श्रद्धालुओं के ठहराव की संभावना नहीं के बराबर है.

जिला मुख्यालय व निम्बाहेड़ा में भी गेस्ट हाउस

श्रद्धालुओं की सुविधा एवं ठहराव को देखते हुए श्री सांवलियाजी मंदिर प्रशासन की ओर से समय-समय पर धर्मशाला में गेस्ट हाउस का विस्तार किया जाता रहा है. मंडफिया कस्बे में भी कई धर्मशाला में गेस्ट हाउस हैं. इसके अलावा चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर विशाल श्री सांवलिया जी विश्रांति गृह, निंबाहेड़ा में धर्मशाला चिकारड़ा में गेस्ट हाउस बने हुए हैं. ऐसे में इन मंदिर की धर्मशाला और गेस्ट हाउस में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का ठहराव होता है, जो इन दिनों बुरी तरह से प्रभावित है.

सांवलिया सेठ की आय को प्रभावित कर गया कोरोना

एक भी दिन का नहीं काटा वेतन

कोरोना काल के दौरान कई निजी कंपनियों के कर्मचारियों की वेतन कटौती और निकालने की बात सामने आती रही है. लेकिन श्री सांवलियाजी मंदिर की धर्मशालाओं व गेस्ट हाउस में कार्यरत एक भी कर्मचारी को नहीं निकाला. आठ माह बन्द रहने के बावजूद एक भी कर्मचाफी के एक पैसे में कटौती नहीं की है. सांवलियाजी मंदिर की धर्मशाला, गेस्ट हाउस आदि में करीब 100 कर्मचारी काम कर रहे हैं, जिन्हें की बिना काम के भी वेतन दिया गया था.

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प्रतिदिन 30 हजार के प्रसाद की बिक्री प्रभावित

जानकारी मिली है कि मंदिर में धर्मशालाओं व गेस्ट हाउस के अलावा सबसे अधिक बिक्री बाल भोग के प्रसाद की होती है. यहां शुद्ध देशी घी में बनें बेसन के लड्डू व मैदे की मठड़ी का प्रसाद बनता है. इसकी श्रद्धालुओ में काफी मांग है. प्रतिदिन औसत करीब 30 हजार रुपए के प्रसाद की बिक्री होती है. 9 माह से प्रसाद ही नहीं बना है. वहीं प्रसाद काउंटर व प्रसाद निर्माण में भी 20 से अधिक कर्मचारी कार्यरत थे. इन्हें भी नहीं निकाला गया. हालांकि अब प्रसाद काउंटर शुरू हो चुके हैं.

श्रीसांवलिया मंदिर, चित्तौड़गढ़

नो प्रॉफिट नो लोस, किराया भी न्यूनतम

जानकारी में सामने आया कि श्री सांवलियाजी मंदिर की और से श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जितने भी कार्य किए हैं वो सभी नो प्रॉफिट नो लोस में चल रहे हैं. लड्डू और मठड़ी का भी न्यूनतम व्यय लिया जा रहा है. वहीं धर्मशालाओं और गेस्ट हाउस में भी कर्मचारियों का वेतन निकले इतनी राशि ही ली जाती है. डबल बेड अटैच रूम केवल 200 से 250 रुपए में तो वहीं ऐसी रूम 700 रुपए में दिए जाते हैं. धर्मशालाओं के बड़े हॉल केवल 250 रुपए के किराए में श्रद्धालुओं को दिए जाते हैं. वहीं साधारण कमरे मात्र 50 रुपए में दिए जा रहे हैं. बिस्तर किराया भी केवल 10 रुपए ही है.

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