चित्तौड़गढ़. कोरोना संक्रमण के खौफ के चलते आगामी दिनों में आने वाली हरियाली अमावस्या फीकी रहने वाली है. प्रशासन ने बढ़ते संक्रमण को देखते हुए जिले के प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर रोक लगा दी है. ऐसे में लोगों को इस बार घरों पर ही हरियाली अमावस्या मनानी पड़ेगी.
वहीं जिले में कोरोना संक्रमण नहीं फैले, इसको लेकर जिला प्रशासन फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है. पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने जिले के लोगों से घर पर ही हरियाली अमावस्या मनाने की अपील की है.
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जानकारी के अनुसार चित्तौड़गढ़ जिले में हर वर्ष हरियाली अमावस्या का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता था. घरों पर मालपुवे, घेवर, पकौड़ी बनते थे, तो वहीं बाजारों में मिठाई की दुकान पर भी भारी भीड़ रहती थी. विश्व विख्यात चित्तौड़ दुर्ग पर हर वर्ष एक लाख से अधिक श्रद्धालु सांवलियाजी मंदिर में आते थे.
धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर रोक लेकिन ये साल कोरोना वायरस के संक्रमण, फैलाव और रोकथाम के दौर से गुजर रहा है. राजस्थान सरकार और जिला प्रशासन द्वारा कोरोना पर नियंत्रण और रोकथाम हेतु समय-समय पर प्रतिबन्धात्मक निर्देश जारी किए जा रहे है. जिससे जिले में लोक-व्यवस्था कायम रह सके और मानव जीवन सुरक्षित रहे.
जिले में 20 जुलाई को हरियाली अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा. हरियाली अमावस्या के पर्व पर दुर्ग चित्तौड़, सांवलियाजी मन्दिर मण्डफिया और जिले के अन्य स्थलों पर काफी संख्या में लोगों का आवागमन बना रहता है. ऐसे में कोरोना महामारी को देखते हुए आमजन के स्वास्थ्य और सुरक्षा के मद्देनजर जिला मजिस्ट्रेट केके शर्मा ने एक आदेश जारी किया है.
जिसके तहत 20 जुलाई को हरियाली अमावस्या के दिन दुर्ग चित्तौड़गढ़ पर निवास करने वाले व्यक्तियों के अतिरिक्त अन्य सभी पर्यटकों/श्रद्वालुओं के लिए चित्तौड़ दुर्ग पर आवागमन पूर्णतः निषेध रहेगा. इस संबंध में पुख्ता व्यवस्थाएं की जा रही है. दुर्ग और सांवलियाजी मंडिर के अलावा अन्य धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर भी प्रवेश को लेकर प्रतिबंध के आदेश दिए जा रहे हैं.
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जिले में मेनाल, निलिया महादेव, केलझर महादेव सहित कई धार्मिक और पर्यटन स्थल है, जहां हरियाली अमावस्या पर भारी भीड़ उमड़ती है. चित्तौड़गढ़ के अलावा भीलवाड़ा, उदयपुर, कोटा, बूंदी, झालावाड़, प्रतापगढ़, डूंगरपुर सहित मध्यप्रदेश के निकटवर्ती जिलों से भारी संख्या में लोग चित्तौड़गढ़ जिले के पर्यटन स्थलों और धर्मिक स्थलों पर आते है और मेला लगता हैं. इनसे हर वर्ष लाखों का व्यवसाय भी होता है, लेकिन इस वर्ष ना तो मेला लगेगा ना ही व्यवसाय होगा.