चित्तौड़गढ़. जिले के विश्व प्रसिद्ध दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर पर गत दिनों समाज विशेष के लोगों की ओर से धार्मिक अनुष्ठान, गोठ और प्रसादी पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन को एक ज्ञापन दिया गया था. जिसके बाद शनिवार को पुनर्विचार करने के लिए राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन में इन्होंने पूरानी परम्परा से पूजा पद्धति जारी रखने की मांग की है.
जानकारी के अनुसार राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने शनिवार दोपहर कलेक्ट्री परिसर पहुंचकर जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है. इसमें कहा कि गत दिनों कुछ समाज विशेष के सदस्यों की ओर से कालिका माता मंदिर पर धार्मिक अनुष्ठान गोठ, प्रसादी पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा गया था. इसी को लेकर श्री राजपूत करणी सेना के सदस्यों ने ज्ञापन पर पुनर्विचार करने की मांग की है.
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ज्ञापन में कहा गया है कि हर धर्म संप्रदाय की अलग धार्मिक आस्था और विभिन्न पूजा पद्धतियां और रिवाज होते हैं, जो कि प्राचीन काल से चली आ रही है. इसी में चित्तौड़ दुर्ग स्थित कालिका माता मंदिर के आसपास गोठ, प्रसादी, धार्मिक आस्था के अनुसार हिंदू धर्म के विभिन्न समाजों की ओर से की जाती रही है. कालिका माता की पूजा सैकड़ों वर्षो से शास्त्रों के अनुसार जिस प्रकार होती आ रही है, आज भी उसी प्रकार की जा रही है और हिंदू मान्यताओं के अनुसार कालिका माता में आस्था रखने वाले अपने मनोकामनाएं पूरी होने के बाद बोलमा उतारने की परंपरा वर्षो से चली आ रही है.